"चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य": अवतरणों में अंतर
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सारी दुनिया हसेगी। क्योंकि आज यह सिध्द हो चुका है कि विक्रमादित्य उज्जयिनी के मालवगणमुख्य थे विक्रम संवत् प्रवर्तक न की चंद्रगुप्त विक्रमादित्य इस अवतरण को हटाने की जरूरत है। इतिहासकार जी डी जोशी की शकारि सम्राट विक्रमादित्य पढे। जिन मुर्खो को और जानना है वे भगवतीलाल राजपुरोहित की विक्रमादित्य पर पुस्तक पढे। टैग: Manual revert Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
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'''चन्द्रगुप्त द्वितीय महान''' जिनको [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में '''[[विक्रमादित्य ६|विक्रमादित्य]]''' या '''चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य''' के नाम से जाना जाता है; वह [[भारत]] के महानतम एवं सर्वाधिक शक्तिशाली सम्राट थे। उनका राज्य 375-414 ई. तक चला जिसमें गुप्त राजवंश ने अपना शिखर प्राप्त किया। [[गुप्त राजवंश|गुप्त साम्राज्य]] का वह समय भारत का [[स्वर्णिम युग]] भी कहा जाता है। चन्द्रगुप्त द्वितीय महान अपने पूर्व राजा [[समुद्रगुप्त]] महान के पुत्र थे। उन्होंने आक्रामक विस्तार की नीति एवं लाभदयक पारिग्रहण नीति का अनुसरण करके सफलता प्राप्त की।
== परिचय ==
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