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चरी लोक नृत्य
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[[चित्र:Udaipur, Dharohar (6269624763).jpg|thumb|300px|right|चरी नृत्य]]
'''चरी नृत्य''' [[भारत]] में [[राजस्थान]] का आकर्षक व बहुत प्रसिद्ध [[लोक नृत्य]] है। यह महिलाओं द्वारा किया जाने वाला सामूहिक [https://rajasthangkbygp.blogspot.com/2018/06/rajasthan-ke-pramukh-lok-nrityalok.html?m=1 लोक नृत्य] है। <ref> http://rajasthan.gov.in/StateProfile/ArtandCulture/Pages/FolkDanceMusic.aspx  {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20150430060526/http://rajasthan.gov.in/StateProfile/ArtandCulture/Pages/FolkDanceMusic.aspx |date=30 अप्रैल 2015 }}</ref> यह राजस्थान के [[अजमेर]] और [[किशनगढ़]] में अति प्रचलित है। चरी नृत्य राजस्थान में किशनगढ़ और अजमेर के गुर्जर और सैनी समुदाय की महिलाओं का एक सुंदर नृत्य है। चेरी नृत्य राजस्थान में कई बड़े समारोहों, त्योहारों, लडके के जन्म पर, शादी के अवसरों के समय किया जाता है। [[फलकू बाई]] इसकी प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं
 
=== चरी नृत्य ===
संगीत और नृत्य की राजस्थान के जीवन के जीवन में गहरी पैठ है। [https://rajasthangkbygp.blogspot.com/2018/06/rajasthan-ke-pramukh-lok-nrityalok.html?m=1 चरी नृत्य] राजस्थान की महिलाओं का एक अनूठा और सामूहिक नृत्य है। चरी नृत्य में पारम्परिक सुन्दर एवं रंगीन कपड़े पहनकर और गहनों से सुसज्जित होकर महिलायें सिर पर मिट्टी या पीतल की चरी (भारी बर्तन) लेकर नाचते हैं। मिट्टी या पीतल की चेरी (भारी बर्तन) पर तेल में डूबे कपास प्रज्वलित कर , रोशन दीया (तेल का दीपक) रखकर किया जाता हैं। चेरी ( भारी बर्तन) को बिना स्पर्श किये नर्तकियां उन्हें अपने सिर संतुलित रख कर अपने हाथ, कमर व पैरो का सुंदर संचालन कर वृताकार नृत्य किया जाता है। इसके लिए बचपन से ही या कठिन अभ्यास की आवश्यकता होती है। इससे रात के अंधेरे में बहुत ही सुंदर दृश्य प्रदर्शित होता है। नृत्य मंच के आसपास कतारबद्ध रोशनी इसे और आकर्षक बना देती है।
 
===चरी नृत्य की उत्पत्ति ===