"चाणक्यनीति": अवतरणों में अंतर

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'''चाणक्य नीति''' या '''चाणक्य नीतिशास्त्र''', [[चाणक्य]] द्वारा रचित एक [[नीति]] ग्रन्थ है। संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की कोटि में चाणक्य नीति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें सूत्रात्मक शैली में जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिये गये हैं। इसका मुख्य विषय मानव मात्र को जीवन के प्रत्येक पहलू की व्यावहारिक शिक्षा देना है। इसमें मुख्य रूप से धर्म, संस्कृति, न्याय, शांति, सुशिक्षा एवं सर्वतोन्मुखी मानव जीवन की प्रगति की झाँकियां प्रस्तुत की गई हैं। इस नीतिपरक ग्रंथ में जीवन-सिद्धान्त और जीवन-व्यवहार तथा आदर्श और यथार्थ का बड़ा सुन्दर समन्वय देखने को मिलता है। यद्यपि कुछ विद्वानों का मत है कि यह आचार्य चाणक्य की मौलिक कृति नहीं है, बल्कि उनके द्वारा किया गया संकलन है।<ref>{{Cite web|url=https://hindipath.com/chanakya-niti-in-hindi-pdf-free-download/|title=चाणक्य नीति|last=आचार्य|first=चाणक्य|date=|website=हिंदी पथ|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
 
== परिचय ==
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* कभी भी अपने रहस्यों को किसी के साथ साझा मत करो, यह प्रवृत्ति तुम्हें बर्बाद कर देगी।
* हर मित्रता के पीछे कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित न छिपे हों, यह कटु सत्य है, लेकिन यही सत्य है।
* अपने बच्चे को पहले पांच साल दुलार के साथ पालना चाहिए। अगले पांच साल उसे डांट-फटकार के साथ निगरानी में रखना चाहिए। लेकिन जब बच्चा सोलह साल का हो जाए, तो उसके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए।<ref>{{Cite web|url=https://hindipath.com/chanakya-niti-chapter-3-hindi/|title=चाणक्य नीति दर्पण, अध्याय ३|last=चाणक्य|first=आचार्य|date=|website=हिंदीपथ|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
* संकट काल के लिए धन बचाएं। परिवार पर संकट आए तो धन कुर्बान कर दें। लेकिन स्वयं की रक्षा हमें अपने परिवार और धन को भी दांव पर लगाकर करनी चाहिए।