"आदिवासी": अवतरणों में अंतर
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मध्यक्षेत्र का विस्तार उत्तर-प्रदेश के मिर्जापुर जिले के दक्षिणी ओर राजमहल पर्वतमाला के पश्चिमी भाग से लेकर दक्षिण की गोदावरी नदी तक है। [[सांथाल जनजाति|संथाल]], [[मुण्डा|मुंडा]], [[माहली]],[[उराँव|उरांव]], हो, भूमिज, खड़िया, [[बिरहोर]], [[जुआंग]], खोंड, सवरा, [[गोंड]], [[भील]], बैगा, [[कोरकू लोग|कोरकू]], कमार आदि इस भाग के प्रमुख आदिवासी हैं।
पश्चिमी क्षेत्र में भील, [[मीणा]],
नृतत्ववेत्ताओं ने इन समूहों में से अनेक का विशद शारीरिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अध्ययन किया है। इस अध्ययन के आधार पर भौतिक संस्कृति तथा जीवनयापन के साधन सामाजिक संगठन, धर्म, बाह्य संस्कृति, प्रभाव आदि की दृष्टि से आदिवासी भारत के विभिन्न वर्गीकरण करने के अनेक वैज्ञानिक प्रयत्न किए गए हैं। इस परिचयात्मक रूपरेखा में इन सब प्रयत्नों का उल्लेख तक संभव नहीं है। आदिवासी संस्कृतियों की जटिल विभिन्नताओं का वर्णन करने के लिए भी यहाँ पर्याप्त स्थान नहीं है।
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