"आदिवासी": अवतरणों में अंतर

→‎आदिवासी निवास क्षेत्र: ठाकुर नही ठाकर है
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 157.33.59.114 (Talk) के संपादनों को हटाकर Surenders25 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 28:
मध्यक्षेत्र का विस्तार उत्तर-प्रदेश के मिर्जापुर जिले के दक्षिणी ओर राजमहल पर्वतमाला के पश्चिमी भाग से लेकर दक्षिण की गोदावरी नदी तक है। [[सांथाल जनजाति|संथाल]], [[मुण्डा|मुंडा]], [[माहली]],[[उराँव|उरांव]], हो, भूमिज, खड़िया, [[बिरहोर]], [[जुआंग]], खोंड, सवरा, [[गोंड]], [[भील]], बैगा, [[कोरकू लोग|कोरकू]], कमार आदि इस भाग के प्रमुख आदिवासी हैं।
 
पश्चिमी क्षेत्र में भील, [[मीणा]], ठाकरठाकूर, कटकरी,टोकरे कोली,कोली महादेव,मन्नेवार,गोंड,कोलाम,हलबा,पावरा,आंध (महाराष्ट्र)आदि प्रमुख आदिवासी जनजातिया निवास करते हैं। मध्य पश्चिम राजस्थान से होकर दक्षिण में सह्याद्रि तक का पश्चिमी प्रदेश इस क्षेत्र में आता है। गोदावरी के दक्षिण से कन्याकुमारी तक दक्षिणी क्षेत्र का विस्तार है। इस भाग में जो आदिवासी समूह रहते हैं उनमें चेंचू, कोंडा, रेड्डी, राजगोंड, कोया, कोलाम, कोटा, कुरूंबा, बडागा, टोडा, काडर, मलायन, मुशुवन, उराली, कनिक्कर आदि उल्लेखनीय हैं।
 
नृतत्ववेत्ताओं ने इन समूहों में से अनेक का विशद शारीरिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अध्ययन किया है। इस अध्ययन के आधार पर भौतिक संस्कृति तथा जीवनयापन के साधन सामाजिक संगठन, धर्म, बाह्य संस्कृति, प्रभाव आदि की दृष्टि से आदिवासी भारत के विभिन्न वर्गीकरण करने के अनेक वैज्ञानिक प्रयत्न किए गए हैं। इस परिचयात्मक रूपरेखा में इन सब प्रयत्नों का उल्लेख तक संभव नहीं है। आदिवासी संस्कृतियों की जटिल विभिन्नताओं का वर्णन करने के लिए भी यहाँ पर्याप्त स्थान नहीं है।