"तितली": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Eurema blanda at Nayikayam Thattu.jpg|thumbnail|left|260px|केरल में तितली]]
तितली एकलिंगी प्राणी है अर्थात नर तथा मादा अलग-अलग होते हैं। मादा तितली अपने अण्डे पत्ती की निचली सतह पर देती है। अण्डे से कुछ दिनों बाद एक छोटा-सा कीट निकलता है जिसे कैटरपिलर [[लार्वा]] कहा जाता है। यह पौधे की पत्तियों को खाकर बड़ा होता है और फिर इसके चारों ओर कड़ा खोल बन जाता है। अब इसे [[प्यूपा]] कहा जाता है। कुछ समय बाद प्यूपा को तोड़कर उसमें से एक सुन्दर छोटी-सी तितली बाहर निकलती है।<ref>{{cite book |last=शर्मा |first=कैलाश नाथ |title= आधुनिक जीव विज्ञान, भाग-२ |year=जुलाई २००४ |publisher=कमला पुस्तक भवन |location=कोलकाता |id= |page=80-81 |access-date= २३ जून २००९}}</ref> तितली का दिमाग़ बहुत तेज़ होता है। देखने, सूंघने, स्वाद चखने व उड़ने के अलावा जगह को पहचानने की इनमें अद्भुत क्षमता होती है। वयस्क होने पर आमतौर पर ये उस पौधे या पेड़ के तने पर वापस आती हैं, जहाँ इन्होंने अपना प्रारंभिक समय बिताया होता है।
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