"आल्हा": अवतरणों में अंतर

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==उत्पत्ति==
आल्हा और ऊदल, चंदेल राजा परमल के सेनापति दसराज के पुत्र थे। वे बनाफर वंश के थे, जो कि चंद्रवंशीअहीर क्षत्रिय वंश है। मध्य-काल में आल्हा-ऊदल की गाथा राजपूतअहीर शौर्य का प्रतीक दर्शाती है। <ref name="Yadava2006p1">{{cite book|last=Hiltebeitel|first=Alf|authorlink=Alf Hiltebeitel|title=RethinkingFollowers India'sof Oral and Classical EpicsKrishna: DraupadiYadavas amongof Rajputs,India Muslims,|first=S. andD. S. Dalits|yearlast=2009Yadava |publisher=UniversityLancer ofPublishers Chicago|year=2006 Press|isbn=0-226-34050-39788170622161 |pagespage=160–16319 |url=https://books.google.co.incom/books?idredir_esc=MMFdosx0PokCy&pgid=PA304p69GMA226bgC&dqq=banapharAlha+ralputsudal#v=snippet&hlq=enAlah-Udal%20ballads%20sing%20of%20Ahir%20bravery%20in%20the%20medieval%20age&saf=Xfalse |accessdate=2012-12-03 |archive-url=https://web.archive.org/web/20200605042114/https://books.google.com/books?redir_esc=y&vedid=2ahUKEwiM99OAwLfsAhVRWH0KHdCKCWMQ6AEwAnoECAcQAgp69GMA226bgC&q=Alha+udal#v=onepagesnippet&q=banapharAlah-Udal%20ballads%20sing%20of%20Ahir%20bravery%20in%20the%20medieval%20ralputs20age&f=falsfalse |archive-date=5 जून 2020 |url-status=live }}</ref>
बनाफर, वनों में रहने वाली जनजातियां थी,<ref name="Hiltebeitel160">{{cite book|last=Hiltebeitel|first=Alf|authorlink=Alf Hiltebeitel|title=Rethinking India's Oral and Classical Epics: Draupadi among Rajputs, Muslims, and Dalits|year=2009|publisher=University of Chicago Press|isbn=0-226-34050-3|pages=160–163|url=https://books.google.com/books?id=MMFdosx0PokC&pg=PA160|quote=Whenever Mahil slurs the Banaphars for their Ahir blood.|access-date=5 जून 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20200603035945/https://books.google.com/books?id=MMFdosx0PokC|archive-date=3 जून 2020|url-status=live}}</ref> जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान और माहिल जैसे राजपुतों से लड़ाईया लड़ी थी।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books?id=m3DjCgAAQBAJ&pg=PA203&redir_esc=y#v=onepage&q&f=false|title=The Last Hindu Emperor: Prithviraj Cauhan and the Indian Past, 1200–2000|last=Talbot|first=Cynthia|date=2016|publisher=Cambridge University Press|year=|isbn=9781107118560|location=|pages=203|language=en|access-date=5 जून 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20191229175050/https://books.google.com/books?id=m3DjCgAAQBAJ#v=onepage&q&f=false|archive-date=29 दिसंबर 2019|url-status=live}}</ref>
 
पुराणों में कहा गया है कि माहिल(एक राजपूत थे) और आल्हा और उदल के दुश्मन थे, जिन्होंने कहा था कि आल्हा अलग परिवार(kule htnatvamagatah) से आया है क्योंकि उसकी माँ एक आर्य अभिरी आर्यन अहीर है।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books/about/Reports.html?id=WCArAAAAYAAJ|title=Reports|last=India|first=Archæological Survey of|date=1885|publisher=Office of the Superintendent of Government Printing.|language=en}}</ref>
आल्हा-उदल के माता-पिता को लेकर गाथा में कोई विकल्प नहीं मिलता। दोनों दसराज (जसराज) और दिवला (देवल दे) के पुत्र हैं। कन्नौजी पाठ के अनुसार आल्हा का जन्म दशपुरवा (दशहर पुर, महोबा की सीमा पर एक छोटा- सा गाँव) में हुआ था। आल्हा की जन्म तिथि जेठी दशहरा बताई जाती है। आल्हा से ऊदल लगभग बारह वर्ष छोटा था। पिता की हत्या के बाद उसका जन्म हुआ था। <ref>{{cite book |url=https://books.google.co.in/books?id=LHJZDwAAQBAJ&pg=PT23&dq=banaphar+rajput&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwi2qs6L2aHsAhUMzzgGHYXgBiYQ6AEwAHoECAMQAg#v=onepage&q=banaphar%20rajput&f=false|title=Alha Udal ki Veergatha |first=Acharya Mayaram|last=Patang|authorlink=Acharya Mayaram Patang|publisher=Prabhat Prakashan |year=2018|isbn=9789387980006}}</ref> ग्रियर्सन के अनुसार बनाफरो की पत्नियाँ मूलतः अच्छे परिवारों की थीं। बाद में उन्हें अहीर कहा गया। कदाचित् माहिल ने बैर भाव से यह अफवाह फैला दी हो। महोबा में, विवाह-संबंधों के संदर्भ में बनाफर "ओछी जात के राजपूत" कहे गए हैं।।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books?id=m3DjCgAAQBAJ&pg=PA203&redir_esc=y#v=onepage&q&f=false|title=The Last Hindu Emperor: Prithviraj Cauhan and the Indian Past, 1200–2000|last=Talbot|first=Cynthia|date=2016|publisher=Cambridge University Press|year=|isbn=9781107118560|location=|pages=203|language=en|access-date=5 जून 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20191229175050/https://books.google.com/books?id=m3DjCgAAQBAJ#v=onepage&q&f=false|archive-date=29 दिसंबर 2019|url-status=live}}</ref>
 
भाव पुराण के अनुसार, कई प्रक्षेपित खंडों वाला एक पाठ, जो निश्चित रूप से दिनांकित नहीं किया जा सकता है, आल्हा की माता, देवकी, अहीर जाति की सदस्य थीं। अहीर "सबसे पुरानी जाति" हैं और महोबा के शासक थे।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books/about/Ah%C4%ABrav%C4%81la_k%C4%81_itih%C4%81sa_madhyayuga_se_1.html?id=5B22AAAAIAAJ|title=Ahīravāla kā itihāsa, madhyayuga se 1947 Ī. taka|last=Yadav|first=Kripal Chandra|date=1967|publisher=Akhila Bhāratīya Yādava Mahāsabhā, Vārāṇasī ke Nimitta Hariyāṇā Prakāśana|language=hi}}</ref>
पं० ललिता प्रसाद मिश्र ने अपने ग्रन्थ '''आल्हखण्ड''' की भूमिका में आल्हा को [[युधिष्ठिर]] और ऊदल को [[भीम]] का साक्षात [[अवतार]] बताते हुए लिखा है -
 
''"यह दोनों वीर अवतारी होने के कारण अतुल पराक्रमी थे। ये प्राय: १२वीं विक्रमीय शताब्दी में पैदा हुए और १३वीं शताब्दी के पुर्वार्द्ध तक अमानुषी पराक्रम दिखाते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये।ऐसा प्रचलित है की ऊदल की पृथ्वीराज चौहान द्वारा हत्या के पश्चात आल्हा ने संन्यास ले लिया और जो आज तक अमर है और गुरु गोरखनाथ के आदेश से आल्हा ने पृथ्वीराज को जीवनदान दे दिया था ,पृथ्वीराज चौहान के परम मित्र संजम भी महोबा की इसी लड़ाई में आल्हा उदल के सेनापति बलभद्र तिवारी जो कान्यकुब्ज और कश्यप गोत्र के थे उनके द्वारा मारा गया था l वह शताब्दी वीरों की सदी कही जा सकती है और उस समय की अलौकिक वीरगाथाओं को तब से गाते हम लोग चले आते हैं। आज भी कायर तक उन्हें (आल्हा) सुनकर जोश में भर अनेकों साहस के काम कर डालते हैं। [[प्रथम विश्वयुद्ध|यूरोपीय महायुद्ध]] में सैनिकों को रणमत्त करने के लिये ब्रिटिश गवर्नमेण्ट को भी इस (आल्हखण्ड) का सहारा लेना पड़ा था।"''<ref>{{Cite book |last=मिश्र |first=पं० ललिता प्रसाद|title=आल्हखण्ड |language= |edition=15 |year=[[2007]] |publisher=तेजकुमार बुक डिपो (प्रा०) लि० |location=पोस्ट बॉक्स 85 [[लखनऊ]] 226001 |page=1 (भूमिका)}}</ref>
भाव पुराण में आगे कहा गया है कि यह न केवल आल्हा और उदल की माताएँ हैं, जो अहीर हैं, बल्कि बक्सर के उनके पैतृक पिता अहीर भी हैं, जो कुँवारी भैंसों से नहीं बल्कि उनके नौ में से आने वाले देवी चंडिका के आशीर्वाद से परिवार में प्रवेश करते हैं। -उन्होंने नौ दुर्गाओं की प्रतिज्ञा की और इसलिए अहीर परिवार के स्वाभाविक रिश्तेदार थे। इसमें से कुछ इलियट के आल्हा के साथ जाँच करते हैं, जहाँ गोपालक (अहीर) राजा दलवाहन को दलपत, ग्वालियर का राजा कहा जाता है। वह अभी भी दो लड़की के पिता हैं, लेकिन केवल दासराज को देते हैं जो अहीर और बच्छराज थे जब पायल ने उनसे अनुरोध किया था। रानी मल्हना जोर देकर कहती है कि राजा परमाल ने चन्द्र भूमि के भीतर से दुल्हनों को बछराज और बछराज को पुरस्कृत किया। ग्वालियर के राजा दलपत अपनी बेटियों देवी (देवकी, आल्हा की माँ) और बिरमा उदल की माँ की सेवा करते हैं। रानी मल्हना देवी का स्वागत करती हैं महोबा में उनके गले में नौ लाख की चेन (नौलखा हर) डालकर बिरमा को हार भी देती हैं। राजा परमाल तब नए बाणपार परिवारों को एक गाँव देते हैं जहाँ वे आल्हा और उदल नाम के अपने पुत्रों को पालते हैं और उनकी परवरिश करते हैं।{{cn}}
 
आल्हा भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र में लोकप्रिय आल्हा-खंड कविता के नायकों में से एक है। यह एक कार्य महोबा खण्ड पर आधारित हो सकता है जिसे परमाल रासो शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। {{cn}}
आल्हा एक मौखिक महाकाव्य है, यह कहानी पृथ्वीराज रासो और भाव पुराण की कई मध्यकालीन पांडुलिपियों में भी पाई जाती है। एक धारणा यह भी है कि कहानी मूल रूप से महोबा के बर्ग के जगनिक द्वारा लिखी गई थी, लेकिन अभी तक कोई पांडुलिपि नहीं मिली है। {{cn}}
 
काराइन शोमर ने आल्हा को दक्षिण एशियाई लोकगीतों में दर्शाया है:
बुंदेलखंड क्षेत्र में उत्पन्न। यह (आल्हा) तुर्की की विजय की पूर्व संध्या (उत्तरार्ध 12 वीं शताब्दी ई.पू.) पर उत्तर भारत के तीन प्रमुख राजपूत राज्यों के अंतर्निर्मित भाग्य को याद करता है; दिल्ली (पृथ्वीराज चौहान द्वारा शासित), कन्नौज (जयचंद राठौर द्वारा शासित), और महोबा (राजा परमाल द्वारा शासित)। महाकाव्य के नायक असाधारण वीरता के साथ राजपूत स्थिति के भाई आल्हा और उदल हैं, जिनके कारण महोबा की रक्षा और इसके सम्मान की रक्षा है। "कलियुग का महाभारत" कहा जाता है, आल्हा दोनों समानताएं और विषयों और शास्त्रीय धार्मिक महाकाव्य की संरचनाओं को प्रभावित करता है।
 
(आल्हा) चक्र में बयालीस एपिसोड होते हैं जिसमें नायक महोबा के दुश्मनों या संभावित दुल्हनों के प्रतिरोधी पिता का सामना करते हैं। यह महोबा और दिल्ली के राज्यों के बीच महान ऐतिहासिक लड़ाई के साथ समाप्त होता है, जिसमें चंदेलों का सफाया हो गया और चौहान इतने कमजोर हो गए कि वे तुर्कों के बाद के हमले का विरोध नहीं कर सके।
 
== सन्दर्भ ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://roar.media/hindi/main/history/alha-the-warrior-who-defeat-the-great-prithviraj-chauhan-hindi-article/ आल्हा : पृथ्वीराज जैसे वीर को ‘प्राणदान’ देने वाला योद्धा]
*[https://m--hindi-webdunia-com.cdn.ampproject.org/v/s/m-hindi.webdunia.com/navratri-special/maihar-mata-sharda-temple-of-alha-and-udal-116100100030_1.html?amp_js_v=a6&amp_gsa=1&amp=1&usqp=mq331AQFKAGwASA%3D#aoh=16028001409868&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&amp_tf=From%20%251%24s आल्हा सैकड़ों साल से कर रहे हैं माँ शारदा की आरती]
*[https://web.archive.org/web/20150305210009/http://www.agrjournal.com/admin/assets/articles/5-102.pdf आल्हा में वर्णित तत्कालीन सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों का ऐतिहासिक अध्ययन]
*[https://hindi.speakingtree.in/allslides/aalha-aur-udal-kee-ladaayi आल्हा ऊदल की पूरी कहानी]
 
{{इति-आधार}}
"https://hi.wikipedia.org/wiki/आल्हा" से प्राप्त