"प्लैंक स्थिरांक": अवतरणों में अंतर
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[[File:Max Planck Wirkungsquantums 20050815.jpg|thumb|right|बर्लिन के हम्बोल्ट विश्वविद्यालय का पट्त : १८८९ से १९२८ तक मैक्स प्लांक ने यहीं अध्यापन किया था।]]
प्लांक स्थिरांक (अंग्रेज़ी: Planck constant) [[भौतिक शास्त्र|भौतिकी]] का एक सार्वभौमिक ब्रह्मांडीय नियतांक है जिसको सर्वप्रथम [[जर्मनी]] के महान भौतिक वैज्ञानिक [[मैक्स प्लांक]] ने सन 1900 में प्रस्तुत किया था, उनके नाम पर ही इस नियतांक का नाम प्लांक नियतांक रखा गया तथा इस नियातांक को रोमन लिपि के अक्षर h से दर्शाया जाता है। इस नियतांक का मान 6.62607015×10−34 जुल×सेकंड होता है।
[[कृष्णिका विकिरण]](Black Body Radiation) को समझाने के लिए वैज्ञानिक रेले जीन्स तथा वैज्ञानिक वीन के द्वारा किए गए असफल प्रयासों के बाद सन 1900 में मैक्स प्लांक ने अपना क्वांटम सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसमे उन्होंने प्लांक स्थिरांक h दिया तथा बताया की द्रव्य तथा [[विकिरण]] के बीच [[ऊर्जा]] का आदान प्रदान निरंतर ना होकर ऊर्जा के छोटे टुकड़ों या कणों के रूप में होता है जिन्हें [[फोटॉन|फोटोन]] या क्वांटा कहते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक फोटोन की ऊर्जा hv होती है, जिसमे h प्लांक स्थिरांक है तथा v विकिरण की [[आवृत्ति]] है। इस सिद्धांत का प्रयोग करके मैक्स प्लांक ने कृष्णिका विकिरण को पूरी तरह से समझ दिया था।
इसके बाद सन 1905 में इसी क्वांटम सिद्धांत तथा इसी प्लांक स्थिरांक h का प्रयोग के महान भौतिक वैज्ञानिक [[अल्बर्ट आइंस्टीन|अल्बर्ट आइंस्टाइन]] ने [[प्रकाश-विद्युत प्रभाव|प्रकाश विद्युत प्रभाव]] को समझा दिया, तब से भौतिकी के क्षेत्र में मुख्य रूप से [https://www.vigyaniki.com/quantum-physics-in-hindi/ क्वांटम भौतिकी] के क्षेत्र में इस प्लांक स्थिरांक h का महत्व बहुत बढ़ गया।
आज क्वांटम भौतिकी इतनी तरक्की कर चुकी है कि यह भौतिकी की पूर्ण रूप से एक अलग शाखा बन चुकी है, लेकिन इस क्वांटम भौतिकी की शुरुवात मैक्स प्लैंक के नियतांक h से ही हुई थी।
आज क्वांटम भौतिकी के लगभग हर एक सिद्धांत में इस नियतांक की एक मुख्य भूमिका है तथा यह प्लांक स्थिरांक क्वांटम भौतिकी की एक बुनायादी कड़ी है।
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://www.vigyaniki.com/photoelectric-effect-in-hindi/ प्लांक नियतांक का प्रकाश विद्युत प्रभाव में प्रयोग]
==सन्दर्भ==
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