"जुलियस सीसर": अवतरणों में अंतर
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[[File:Julii Caesaris quae exstant.tif|thumb|C. Iulii Caesaris quae extant, 1678]]
'''सीज़र''' इतिहास प्रसिद्ध रोमन सैनिक एवं नीतिज्ञ गोयस
स्वयं सीज़र के लिए गॉल के अभियानों में विगत वर्षों में दोहरा लाभ हुआ-उसने अपनी सेना भी तैयार कर ली और अपनी शक्ति का भी अनुमान लगा लिया। इसी बीच में रोम की राजनीतिक स्थिति विषमतर हो गई हो। रोमन उपनिवेशों को तीन बड़े कमानों में विभाजित किया जाना था जिनके अधिकारी नाममात्र की केंद्रीय सत्ता के वास्तविक नियंत्रण से परे थे। पांपे को स्पेन के दो प्रांतों का गवर्नर नियुक्त किया गया, क्रेसस को पूर्वी सीमांत प्रांत सीरिया का गवर्नर बनाया गया। गॉल सीज़र के ही कमान में रखा गया। पांपे ने अपने प्रांत स्पेन की कमान का संचालन अपने प्रतिनिधियों द्वारा किया और स्वयं रोम के निकट रहा ताकि केंद्र की राजनीतिकश् स्थितियों पर दृष्टि रखे। क्रैसस पारथिया के राज्य पर आक्रमण करते समय युद्ध में मारा गया। पांपे तथा सीज़र में एकच्छत्र सत्ता हथियाने के लिए तनाव तथा स्पर्धा के कारण युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई। पांपे सीज़र से खिंचने लगा और "सेनेटोरियल अल्पतंत्र दल' से समझौता करने की सोचने लगा। सेनेट ने आदेश दिया कि सीज़र द्वितीय कौंसल के रूप में निर्वाचित होने से पूर्व, जिसका उसको पहले आश्वासन दिया जा चुका था, अपनी गॉल की कमान से त्यागपत्र दे। किंतु पांपे, जिसे ५२ पूर्व में अवैधानिक रूप से तृतीय कौंसल का पद प्रदान कर दिया गया था, अपने स्पेन के प्रांतों तथा सेनाओं को अपने अधिकार में ही रखे रहा। फलत: सीज़र ने खिन्न होकर गृहयुद्ध छेड़ दिया और यह दावा किया कि वह यह कदम अपने अधिकारों, सम्मान और रोमन लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उठा रहा है। उसके विरोधियों का नेतृत्व पांपे कर रहा था।
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यद्यपि सेनेट की बैठक रोम में होती रही होगी तथापि राज सत्ता का वास्तविक केंद्र सीज़र के मुख्यावास पर ही था। कई बार उसे तानाशाह की उपाधि भी दी जा चुकी थी, जो एक अस्थायी सत्ता होती थी और किसी विषम परिस्थिति का सामना करने के लिए होती थी। अब उसने इस उपाधि को आजीवन धारण कर लेने का निश्चय किया, जिसका अर्थ वास्तव में यही था कि वह राज्य के समस्त अधिकारियों तथा संस्थाओं पर सर्वाधिकार रखे और उनका राजा कहलाए।
==हत्या==
तानाशाह का रूप धारण करना ही सीज़र की मृत्यु का कारण हुआ। एकच्छत्र राज्य की घोषणा का अर्थ गणतंत्र का अंत था और गणतंत्र के अंत होने का अर्थ रिपब्लिकन संभ्रांत समुदाय के आधिपत्य का अंत। इसीलिए उन लोगों ने षड्यंत्र रचना आरंभ कर दिया। षड्यंत्रकारियों का नेता मार्कस बूट्स बना जो अपनी नि:स्वार्थ देशभक्ति के लिए प्रसिद्ध था। परंतु इसके अनुयायी अधिकांशत: व्यक्तिगत ईर्ष्या तथा द्वेष से प्रेरित थे। १५ मार्च ४४ ई. पू. को जब सीनेट की बैठक चल रही थी तब ये लोग सीज़र पर टूट पड़े और उसका वध कर दिया। इस मास का यह दिन उसके लिए अशुभ होगा, इसकी चेतावनी उसे दे दी गई थी।'
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