"आपूर्ति (अर्थशास्त्र)": अवतरणों में अंतर

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== आपूर्ति में मूल्य संकेत ==
[[File:Agriculture in Vietnam with farmers.jpg|thumb|270px|वियतनाम के एक खेत में भिन्न चीज़ों को उगाया जा रहा है। किसी चीज़ की कितनी मात्रा उगाई जाए, यह उन चीज़ों के [[मूल्य संकेत]] से पता चलता है।]]
बाज़ार में अनाज का मूल्य (कीमत) उत्पादकों के लिए एक संकेत जैसा काम करता है। जब मूल्य बढ़ता है तो कुछ उत्पादकों को संकेत मिलता है कि अब उन्हें भी अनाज उगाना चाहिए। अर्थव्यवस्था में कीमत की इस संकेत की भूमिका को [[मूल्य संकेत]] (price signal) कहा जाता है। इस मूल्य संकेत का अर्थव्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए अत्यंत महत्व है। मान लीजिए कि बाज़ार में किसी समय पर अनाज की कीमत है और उसके अनुसार कुछ भूमि पर अनाज उगाया जाता है। किसी कारणवश अपेक्षा से अधिक वर्षा हो जाती है और जनसंख्या को अपनी खपत के लिए जितना अनाज चाहिए, उसे से अधिक अनाज उगाया जाता है। गोदाम भर जाते हैं और इस कारण से अगले साल कम अनाज उगाया जाना चाहिए ताकि बाज़ार में अनाज की इतनी थोक न हो कि अनाज पड़ा-पड़ा सड़ने लगे। अगर अर्थव्यवस्था [[मुक्त बाज़ार]] के सिद्धांतों पर चल रही है, तो अधिक अनाज होने से दाम गिरते हैं। दाम गिरने से कई किसान अनाज नहीं उगाते - इसकी बजाय सम्भव है कि वे सब्ज़ियाँ या कोई अन्य चीज़ उगाएँ। गोदामों में अतिरिक्त अनाज का उपभोग हो जाता है। यानि बाज़ार में उतना ही अनाज आता है, जितने की आवश्यकता है। इस स्थिति को [[आर्थिक दक्षता]] (economic efficiency) कहते हैं। मुल्य संकेत में हस्तक्षेप करने से आर्थिक अदक्षता उत्पन्न होती है: विभिन्न उत्पादन गलत मात्राओं में बनने लगते हैं।<ref>{{cite web|url= http://www.econlib.org/library/Enc/InformationandPrices.html|title= Information and Prices|last1= Boudreaux|first1= Donald J.|work=The Concise Encyclopedia of Economics|publisher=Library of Economics and Liberty (econlib.org)|accessdate=18 June 2017}}</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==