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{{साँचा:भारत का इतिहास}}
'''महाजनपद''', [[प्राचीन भारत]] में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे। [[वैदिक सभ्यता|उत्तर वैदिक काल]] में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है।<ref>{{cite web|url=https://
ईसापूर्व ६वीं-५वीं शताब्दी को प्रारम्भिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है जहाँ [[सिंधु घाटी सभ्यता|सिन्धु घाटी की सभ्यता]] के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आंदोलनों ([[बौद्ध धर्म]] और [[जैन धर्म]] सहित) का उदय हुआ।
== गणना और स्थिति ==
ये सभी महाजनपद आज के उत्तरी [[अफ़ग़ानिस्तान]] से [[बिहार]] तक और [[हिन्दु कुश|हिन्दुकुश]] से [[गोदावरी नदी]] तक में फैला हुआ था। [[दीघनिकाय|दीर्घ निकाय]] के [[महागोविन्द सुत्त]] में भारत की आकृति का वर्णन करते हुए उसे उत्तर में आयताकार तथा दक्षिण में त्रिभुजाकार यानि एक [[बैलगाड़ी]] की तरह बताया गया है। बौद्ध निकायों में भारत को पाँच भागों में वर्णित किया गया है - [[उत्तरापथ]] (पश्चिमोत्तर भाग), [[मध्यदेश]], [[प्राची]] (पूर्वी भाग) [[दक्षिणापथ]] तथा [[अपरान्त]] (पश्चिमी भाग) का उल्लेख मिलता है। इससे इस बात का भी प्रमाण मिलता है कि भारत की भौगोलिक एकता ईसापूर्व छठी सदी से ही परिकल्पित है। इसके अतिरिक्त जैन ग्रंथ [[व्याख्याप्रज्ञप्ति|भगवती सूत्र]] और [[
ईसा पूर्व छठी सदी में वैयाकरण [[पाणिनि]] ने 22 महाजनपदों का उल्लेख किया है। इनमें से तीन - [[मगध महाजनपद|मगध]], [[कोशल|कोसल]] तथा [[वत्स]] को महत्वपूर्ण बताया गया है।
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===कुरु===
{{मुख्य|कुरु}}
आधुनिक हरियाणा तथा दिल्ली का [[यमुना नदी]] के पश्चिम वाला अंश शामिल था। इसकी राजधानी आधुनिक [[इन्द्रप्रस्थ]] (दिल्ली) थी। जैनों के [[उत्तराध्ययनसूत्र]] में यहाँ के इक्ष्वाकु नामक राजा का उल्लेख मिलता है। जातक कथाओं में [[सुतसोम]], [[कौरव]] और [[
===कोशल===
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===पांचाल===
{{मुख्य|पांचाल}}
पश्चिमी उत्तर प्रदेश। पांचाल की दो शाखाये थी ― उत्तरी और दक्षणि। उत्तरी पांचाल की राजधानी [[अहिच्छत्र]] और दक्षणि पांचाल की [[काम्पिल्य]] थी।मध्य दोआब क्षेत्र (बदायु फरूखाबाद ) [[
===मगध===
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