"आर्थिक संतुलन": अवतरणों में अंतर

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'''माँग''' - गणित-शिक्षा की सेवा खरीदने वाले दो उपभोक्ता हैं, विद्यालय (जो गणित-अध्यापकों को नौकरी देते हैं) और विद्यार्थी (जो स्वयं या अपने माता-पिता के ज़रिए गणित-शिक्षकों से ट्यूशन ले सकते हैं)। दोनों प्रकार के उपभोक्ता गणित-शिक्षा की कीमत कम होने की स्थिति में यह सेवा अधिक मात्रा में खरीदते हैं। यानि विद्यालय अपने शिक्षकों में गणित-शिक्षकों की मात्रा बढ़ा सकते हैं, और अगर कम दाम पर उपलब्ध हो तो गणित-ट्यूशन लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ेगी। इसके विपरीत अगर गणित-शिक्षा की कीमत बढ़ती है, तो उपभोक्ता (विद्यालय व विद्यार्थी) इसे कम मात्रा मे खरीदते हैं। भिन्न विद्यालय व विद्यार्थी अपनी परिस्थितियों के अनुसार खरीदने या न खरीदने का निर्णय भिन्न कीमतों पर लेंगे, लेकिन यह निश्चित है कि यदि गणित-शिक्षकों की आय बढ़े तो उपभोक्ताओं की माँग घटेगी और यदि आय घटे तो माँग बढ़ेगी। इसी आधार पर गणित-शिक्षा का माँग वक्र (demand curve) बनाया जा सकता है।
 
अब यह देखा जा सकता है की यदि [[मुक्त बाज़ार]] में खरीदने वाले उपभोक्ताओं (विद्यालय व विद्यार्थी) और बेचने वाले उत्पादकों (गणित-शिक्षकों) को स्वतंत्रता से खरीदने व बेचने की छूट दी जाए, तो कीमत वहाँ पर जाकर टिकेगी जहाँ माँग और आपूर्ति बराबर होगी। यही आर्थिक संतुलन की स्थिति है। इस संतुलित स्थिति में बेचने वाले (गणित-शिक्षा देने में सक्षम लोग) और खरीदने वाले (गणित-शिक्षा सेवाएँ लेने के इच्छुक) स्वतंत्र स्वेछा से यह सेवा खरीद और बेच रहे हैं। किसी से ज़बरदस्ती नहीं की जा रही।रही है।
 
== इन्हें भी देखें ==