"आर्थिक संतुलन": अवतरणों में अंतर

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* '''परिणाम 2''' (दाएँ के चित्र में दर्शित): अधिक आय के लिए अब विद्यार्थियों से गणित-शिक्षा का शुल्क अधिक लेना होगा। यह कीमत अब P<sub>1</sub> होगी, जो पहले की कीमत P<sub>0</sub> से अधिक है। इस से कुछ विद्यार्थी, जो गणित-शिक्षा पर इतना खर्च करना नहीं चाहते या कर नहीं सकते, कम गणित-शिक्षा ग्रहण करने लगते हैं। सम्भव है कि विद्यालय जहाँ दो गणित-शिक्षक रखने वाले थे वहाँ अब एक ही रखे और उनकी क्लास की अवधियाँ घटा दें - इस में भी विद्यार्थियों द्वारा ग्रहण करे जाने वाली गणित-शिक्षा की मात्रा कम हो जाएगी। यहाँ भी यह देखा जा सकता है कि कुछ गणित-शिक्षक नई आय से कम आय में गणित-शिक्षा देने को तैयार थे। उन्हें अब यह विकल्प नहीं मिलेगा और अन्य किसी व्ययसाय में जाना होगा। वह यह कह सकते हैं कि "गणित-शिक्षकों को आय तो अच्छी मिलती है लेकिन यह नौकरियाँ आसानी से मिलती ही नहीं।" बाज़ार में संतुलित स्थिति से कम गणित-शिक्षा का क्रय-विक्रय होगा। विद्यार्थियों को भी गणित-शिक्षा के अभाव से हानि होगी।
 
बहुत-सी अर्थववस्थाओं में ऐसे सरकारी हस्तक्षेप के बुरे प्रभाव दिखाई देते हैं। यह निर्णय किसी वर्ग की सहायता के नाम पर करे जाते हैं लेकिन अक्सर समय के साथ-साथ यह उस वर्ग के समेत पूरी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाते हैं।<ref>Paul A. Samuelson (1947; Expanded ed. 1983), ''[[Foundations of Economic Analysis]]'', Harvard University Press. {{ISBN|0-674-31301-1}}</ref><ref>{{cite book |author-link=Hal Varian |first=Hal R. |last=Varian |title=Microeconomic Analysis |edition=Third |publisher=Norton |location=New York |year=1992 |isbn=0-393-95735-7 |url=https://archive.org/details/microeconomicana00vari_0 }}</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==