"चारण (जाति)": अवतरणों में अंतर

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*(५) '''थेकड़ी''' - किसी महनायक के साथ किए गए विश्वासघात का मजाक उड़ाना
 
*(६) '''मरसियामरस्या या विलाप-काव्य''' -- योद्धाओं, संरक्षको, मित्रों या मित्रोंराजा की मृत्युके परमृत्योपरान्त दुःखशोक व्यक्त करने के लिए रचित काव्य, जिसमें उस व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के अलावा अन्य क्रिया-कलापों का वर्णन किया जाता है।
 
*(७) प्रेमकथाएँ
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चारणी साहित्य का एक अन्य वर्गीकरण यह है-
* '''ख्यात''' : राजस्थानी साहित्य के इतिहासपरक ग्रन्थ जिनको रचना तत्कालीन शासकों ने अपनी मान-मर्यादा एवं वंशावली के चित्रण हेतु करवाई। उदाहरण - मुहणोत नैणसी री ख्यात, दयालदास को बीकानेर रां राठौड़ा री ख्यात आदि।
* ख्यात (इतिहास)
 
* वार्ता या वाता (कथाएँ)
* '''वंशावली''' : इस श्रेणी की रचनाओं में राजवंशों की वंशावलियाँ विस्तृत विवरण सहित लिखी गई हैं, जैसे राठौड़ा री वंशावली, राजपूतों री वंशावली आदि।
* रासो (सैन्य महाकाव्य)
 
* वेली
* '''दवावैत''' – यह उर्दू-फारसी की शब्दावली से युक्त राजस्थानी कलात्मक लेखन शैली है, किसी की प्रशंसा दोहों के रूप में की जाती है।
 
* '''वार्ता या वात''' : वात का अर्थ कथा या कहानी से है । राजस्थान मे ऐतिहासिक, पौराणिक, प्रेमपरक एवं काल्पनिक कथानकों पर अपार वात साहित्य है।
 
* '''रासो''' (सैन्य महाकाव्य) -- राजाओं की प्रशंसों में लिखे गए काव्य ग्रन्थ जिनमें उनके युद्ध अभियानों व वीरतापूर्ण कृत्यों के विवरण के साथ उनके राजवंश का विवरण भी मिलता है। बीसलदेव रासी, पृथ्वीराज रासो आदि मुख्य रासो ग्रन्थ हैं।
 
* '''वेलि''' -- राजस्थानी वेलि साहित्य में यहाँ के शासकों एवं सामन्तों की वीरता, इतिहास, विद्वता, उदरता, प्रेम-भावना, स्वामिभक्ति, वंशावली आदि घटनाओं का उल्लेख होता है। [[पृथ्वीराज राठौड़]] द्वारा रचित 'वेलि किसन रुकमणी री' प्रसिद्ध वेलि ग्रन्थ है।
 
* '''विगत''' : यह भी इतिहासपरक ग्रन्थ लेखन की शैली है। 'मारवाड़ रा परगना री विगत' इस शैली की प्रमुख रचना है।
 
* '''प्रकास''' : किसी वंश अथवा व्यक्ति विषेष की उपलब्धियाँ या घटना विशेष पर प्रकाश डालने वाली कृतियाॅं ‘प्रकास‘ कहलाती है। राजप्रकास, पाबू प्रकास, उदय प्रकास आदि इनके मुख्य उदाहरण है।
 
* '''वचनिका''' : यह एक गद्य-पद्य तुकान्त रचना होती है, जिससे अन्त्यानुप्रास मिलता है। राजस्थानी साहित्य में "अचलदास खाँची री वचनिका" एवं "राठौड़ रतनसिंह जी महेस दासोत से वचनिका" प्रमुख हैं। वचनिका मुख्यतः अपभ्रंश मिश्रित राजस्थानी मे लिखी हुई हैं।
 
== सन्दर्भ ==