"डिंगल": अवतरणों में अंतर
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साहित्यकार [[पूनमचंद बिश्नोई]] कहते हैं कि पहले डींगल को सरकारी सहारा मिलता था और यह रोज़गार से जुड़ी हुई थी पर अब ऐसा नहीं है।
अनेक जैन मुनियों ने बी डींगल में रचनाएं की हैं। थार मरुस्थल में आज भी अनपढ़ लोग डींगल की कविता करते मिल
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://www.charans.org/dingal-kavyadhara-me-pragati-chetna/ डिंगल काव्यधारा में प्रगतिशील चेतना]
[[श्रेणी:हिन्दी की उपबोलियाँ]]
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