"कृष्ण यजुर्वेद": अवतरणों में अंतर

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महर्षि [[दयानन्द सरस्वती|दयानन्द]] के अनुसार मूल वेद शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा है। इसी का महर्षि ने [[भाष्य]] किया है।
 
इस विषय में पौराणिकोंपुराण नेआदि ग्रन्थों में इन दोनों शुक्ल, कृष्ण को सिद्ध करने के लिए अपनीअनेक कथाएँ कल्पित कर रखी हैं। इन कत्थित कथाओं को छोड़ शुक्ल-कृष्ण का यथार्थ कारणप्राप्त उपरोक्तहोती हीहैं है।
 
वेदों की कुल शाखा 1127 होने का प्रमाण [[पातंजल महाभाष्य]] में मिलता है। वहाँ लिखा है- ''एकविंशतिधा वाह्वृच्यम्, एकशतम् अध्वर्युशाखाः, सहस्रवर्त्मा सामवेदः, नवधाऽथर्वणो वेदः'', अर्थात् इक्कीस शाखा ऋग्वेद की, एक सौ एक शाखा यजुर्वेद की, एक हजार शाखा सामवेद की और नौ शाखा अथर्ववेद की।