"परिसंचरण तंत्र": अवतरणों में अंतर

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'''परिसंचरण तंत्र''' या वाहिकातंत्र (circulatory system) [[अंग (शारीरिकी)|अंगों]] का वह समुच्चय है जो [[शरीर]] की [[कोशिका]]ओं के बीच [[पोषक तत्व|पोषक तत्वों]] का यातायात करता है। इससे [[रोग|रोगों]] से शरीर की रक्षा होती है तथा शरीर का ताप एवं [[pH]] स्थिर बना रहता है। [[अमीनो अम्ल|अमिनो अम्ल]], [[विद्युत अपघट्य]], गैसें, [[हार्मोन]], [[रक्त]] [[कोशिका|कोशिकाएँ]] तथा [[नाइट्रोजन]] के अपशिष्ट उत्पाद आदि परिसंचरण तंत्र द्वारा यातायात किये जाते हैं। केवल रक्त-वितरण नेटवर्क को ही कुछ लोग वाहिका तंत्र मानते हैं जबकि अन्य लोग [[लसीका तंत्र]] को भी इसी में सम्मिलित करते हैं।
 
मानव एवं अन्य कशेरुक प्राणियों के परिसंचरण तंत्र, '"बन्द परिसंचरण तंत्र'" हैं (इसका मतलब है कि रक्त कभी भी [[धमनी|धमनियों]], [[शिरा|शिराओं]], एवं केशिकाओं के जाल से बाहर '''नहीं''' जाता)। अकशेरुकों के परिसंचरण तंत्र, 'खुले परिसंचरण तंत्र' हैं। बहुत से तुच्छ (primitive animal) में परिसंचरन तंत्र होता ही नहीं। किन्तु सभी प्राणियों का [[लसीका तंत्र]] एक खुला तंत्र होता है।
 
वाहिकातंत्र [[हृदय]], [[धमनी|धमनियों]] तथा [[शिरा]]ओं के समूह का नाम है। धमनियों और शिराओं के बीच [[केशिका|केशिकाओं]] का विस्तृत समूह भी इसी तंत्र का भाग है। इस तंत्र का काम शरीर के प्रत्येक भाग में [[रक्त|रुधिर]] को पहुँचाना है, जिससे उसे [[पोषण]] और [[ऑक्सीजन]] प्राप्त हो सकें। इस तंत्र का केंद्र हृदय है, जो रुधिर को निरंतर पंप करता रहता है और धमनियाँ वे वाहिकाएँ हैं जिनमें होकर रुधिर अंगों में पहुँचता है तथा केशिकाओं द्वारा वितरित होता है। केशिकाओं के रुधिर से पोषण और ऑक्सीजन ऊतकों में चले जाते हैं और इस पोषण और [[ऑक्सीजन]] से विहीन रुधिर को वे [[शिरा]] में लौटाकर हृदय में लाती हैं जो उसको [[फेफड़ा|फुप्फुस]] में ऑक्सीजन लेने के लिए भेज देता है। आंत्र से अवशोषित होकर पोषक अवयव भी इस रुधिर में मिल जाते हैं और फिर से इस रुधिर को अंगों में ऑक्सीजन तथा पोषण पहुँचाने के लिए धमनियों द्वारा भेज दिया जाता है।