"नोगाई ख़ान": अवतरणों में अंतर

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'''नोगाई ख़ान''' (<small>[[मंगोल भाषा|मंगोल]]: Ногай хан; [[अंग्रेजी]]: Nogai Khan;</small>; देहांत: १२९९ ई) एक [[मंगोल]] थासिपहसालार और [[सुनहरा उर्दू]] नामक [[मंगोल साम्राज्य|मंगोल]] [[ख़ानत]] का असली शासक भी था। नोगाई का दादा बाउल ख़ान (उर्फ़ तेवल ख़ान) था जो [[जोची ख़ान]] का ७वाँ बेटा था। इस लिहाज़ से नोगाई [[मंगोल साम्राज्य]] के मशहूर संस्थापक [[चंगेज़ ख़ान]] का पड़-पड़-पोता था।
 
== नाम का अर्थ ==
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नोगाई ने रूस के कुछ हिस्से, [[ओसेती भाषा|ओसेती लोगों]] और [[रूमानिया]] के कुछ हिस्से पर शासन किया। उसने १२७५ में [[लिथुआनिया]] पर और १२८५ में [[तुलाबुग़ा ख़ान]] के साथ मिलकर [[हंगरी]] पर हमला किया। हंगरी में उनकी हार हुई। १२८७-१२८८ में उन्होंने पोलैंड पर तीसरा धावा किया जिसका नतीजा इतिहासकारों को ठीक से ज्ञात नहीं हालांकि कुछ स्रोतों के अनुसार वे २०,००० बंदियों के साथ लौटे। १२८२ में उसके ससुर मिख़ाईल के खिलाफ़ जब [[कुस्तुंतुनिया]] में विद्रोह हुआ तो उसने उसे कुचलने के लिए ४,००० मंगोल योद्धा भेजे लेकिन मिख़ाईल के मरने पर उन्हें [[सर्बिया]] के विरुद्ध इस्तेमाल किया गया। १२८६ तक सर्बिया का राजा स्तेफ़ान उरोश द्वितीय मिलुतीन (<small>Стефан Урош II Милутин</small>) नोगाई को अपना सरताज मानने पर मजबूर हो गया।
 
हालांकि नोगाई चंगेज़ ख़ान का वंशज था लेकिन उस ज़माने की [[तुर्की-मंगोल]] व्यवस्था में केवल पत्नियों से जन्में पुत्रों को ही अपने अलग 'उलुस' (राज्यों) का [[ख़ान (उपाधि)|ख़ान]] बनाने का अवसर दिया जाता था। शायद इसीलिए अधिकतर समकालीन स्रोतों में उसे 'तूमेन बेग़' (यानि 'दस हज़ार सैनिकों का नेता') या 'सिपहसालार' का ही ख़िताब दिया जाता है। युद्ध में निपुण होने और अपनी शक्ति के बावजूद नोगाई ने कभी भी सुनहरे उर्दू की सत्ता छीनने की कोशिश नहीं की, बल्कि दूसरे उस गद्दी पर बैठने के लिए नोगाई का समर्थन माँगा करते थे। अगर कोई ख़ान उसे पसंद नहीं आता था तो वह उसे मरवा देता या गद्दी छोड़ने पर मजबूर कर देता। १२९१ में किशोर उम्र का तोख़्ता नोगाई की मदद से सुनहरे उर्दू का ख़ान बना। नोगाई ने समझा की वह उसे भी पहले के ख़ानों की तरह नियंत्रित रखेगा। लेकिन तोख़्ता एक दृढ़-संकल्प शासक निकला जो जल्दी ही नोगाई से टकराया। इन दोनों की पहली जंग में नोगाई की जीत हुई लेकिन उसी समय नोगाई के पोते का [[क्राइमिया] में इतालवी लोगों ने ख़ून कर दिया और नोगाई की फ़ौज वहाँ इतालवी बंदरगाहों को ध्वस्त करने में लग गई।<ref name="ref33qiyup">[http://books.google.com/books?id=7IsbAQAAMAAJ The Mongols and Russia], George Vernadsky, Yale University Press, 1953, ''... The battle ended in a victory for Nogay. Tokhta fled eastward with the remnants of his troops, pursued by Nogay's army as far as the Don River. Nogay's promise came true: his soldiers actually watered their horses in the Don ...''</ref> १२९९ में तोख़्ता के वफ़ादार मंगोलों से द्नीपर नदी के पास लड़ाई में नोगाई मारा गया। उसे एक साधारण रूसी सैनिक ने मारा और जब नोगाई का सिर तोख़्ता के पास लाया गया तो उसने उस रूसी सैनिक को मरवा दिया क्योंकि उसके हिसाब से 'एक साधारण आदमी एक राजकुंवर को मारने के लायक़ नहीं था।' नोगाई की चीनी नामक एक पत्नी नोगाई के एक पुत्र ('तूरी' नामक) इलख़ानी साम्राज्य के शासक ग़ाज़ान के पास शरण मांगने भाग गई। ग़ाज़ान ने उन्हें आदर के साथ शरण दी। नोगाई की मुख्य [[ख़ातून]] अलग़ (<small>Алаг</small>) का पुत्र चाका (<small>Чака</small>) कुछ महीनो के लिए बुल्गारिया का त्सार (शासक) बना लेकिन फिर हटा दिया गया। [[यूराल पर्वतों]] से पूर्व राज करने वाले मंगोल अपने आपको 'नोगाई उर्दू' (<small>Ногайн Орд, Nogai Horde</small>), यानि 'नोगाई झुण्ड' कहने लगे।<ref name="ref63momuq">[http://books.google.com/books?id=FqFMmVbfRfEC The Caucasus: an introduction] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20160101193741/https://books.google.com/books?id=FqFMmVbfRfEC |date=1 जनवरी 2016 }}, Frederik Coene, Taylor &#x26amp; Francis, 2009, ISBN 978-0-415-48660-6, ''... This ethnic group received its name from Nogay, the grandson of Genghis Khan and ruler of the Nogay Horde between the Dnepr and Danube rivers ...''</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==