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मदारे आजम -लेखक आई एस जाफरी मकनपुर, कानपुर यूपी--की किताब के आधार पर
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[[चित्र:Mohammad Reza Pahlavi.png|thumb|230px|[[ईरान]] के अंतिम शहनशाह मुहम्मद रेज़ा पहलवी (१९४१-१९७९)]]
'''शाह''' (<small>[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]]: {{Nastaliq|ur|شاه‎}}, [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: shah</small>) [[ईरान]], [[मध्य एशिया]] और [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में 'राजा' के लिए प्रयोग होने वाला एक और शब्द है। यह [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] भाषा से लिया गया है , शाह का अर्थ है 'बहुत बड़ा' । अर्थात जो जनता में सबसे बड़ा हो उसे शाह (राजा) कहते है । शाह जाति के लोग ज्यादातर एशिया में निवास करते है। भारत , पाकिस्तान, अफगानिस्तान , ईरान और नेपाल में भी शाह उपनाम वाले निवासी मिल जायेंगे ।
भारत के उत्तरप्रदेश के मकनपुर में मदार शाह रह0 की दरगाह है । मदार शाह ने इस्लाम धर्म का प्रचार सारे भारतवर्ष में किया । इस लेख के लेखक [[जावेद शाह खजराना]] भी मदार शाह के वंश से सम्बंध रखते है । [[पुरानी फ़ारसी]] में इसका रूप 'ख़्शायथ़ीय​' (<small>xšathiya</small>) था।शाह लकब या सरनेम किसी का भी दिया हुआ नहीं है शाह सरनेम दादा मदार शाह ने भी किसी को नहीं दिया। और ना ही किसी को लगाने के लिए कहा। मदार शाह ने ये शाह लकब या सरनेम हजरत मोहम्मद (सल्ल.) से निस्बत (पैरोकारी) करते हुए लगाया था अल्वी सैय्यदो ने जो दीन इस्लाम की तबलीग प्रचार करते थे और शाह मदार के पैरोकार थे उन लोगों ने भी शाह मदार की निस्बत में पैरोकारी करते हुए शाह लकब सरनेम को अपनाया था और अपने नाम के साथ लिखा जबकि असल में वह अल्वी सैयद थे यह बात बिल्कुल गलत और झूठ है कि मदार शाह के हाथों पर जिन लोगों ने इस्लाम कुबूल किया अपनाया वह लोगों ने शाह लकब सरनेम अपनाया है बिल्कुल झूठ है जिसकी कोई हकीकत नहीं है। कुछ उदाहरण पेश कर रहा हूं जैसे कि :-- *खलीफा ऐ कुतुबुल* मदार रजी. हज़रत क़ाज़ी मुतहैयर कल्ला शेर (रह.) साहब ने ...आप हज़रत सैयद *बद़ीउद्दीन अहमद कुतुबुल मदार* अल मारूफ मदारुल आलमीन जिंदा शाह मदार(रजी.) से पूछा कि आपका *इस्मे गिरामी क्या* है ?आप ने जवाब दिया कि *फ़कीर को* बद़ीउद्दीन कहते हैं ( *मदारे आलम* पेज 92-सैयद महज़र अली वक़ारी मदारी ,मकनपुर शरीफ ) *तबसरा--* हजरत जिंदा शाह मदार रजी. ने अपने आप को *फकीर बद़ीउद्दीन* क्यों बताया ? फकीर लफ्ज़ में आज़ज़ी थी जो अल्लाह ताला से आज़िज़ होकर अज़ करते थे अल्लाह ताला से रोते व गिड़गिड़ाते थे आपको अल्लाह ताला की कुर्बत सबसे अधिक हासिल थी ।हजरत सैय्यद जिंदा शाह मदार रजी. पूरी दुनिया में तबलीग़ दीन की और *लाखों लोग आपके हाथों दीन ए इस्लाम को कबूल किया* जिसके चंद मशहूर वाक्यात पेश़े नज़र है----1- अजमेर शरीफ में 52 लोगों ने मिलकर आप पर हमला किया जिन्होंने बाद में इस्लाम कुबूल किया यह लोग *52 गोत्र के नाम* से जाने जाते हैं। ..2 - इन्हीं में से एक चौहर शूद्र थे जिनका नाम दादा मदार ने *इस्लाम नबी* रखा।..3- खंभात सूरत के *राजा जसवंत सिंह ने* आपके हाथों दीने इस्लाम कुबूल किया आपने उसका नाम *ज़ाफर खान* रखा।..4- हिंदुस्तान के तीसरे के सफर में आप जब इस्तांबुल पहुंचे तो एक यहूदी ने जब ईमान की दौलत से मालामाल होकर इस्लाम कुबूल किया तो आपने उसका नाम *अब्दुल्लाह अता उल हक़* जो बाद में शेख अता / तकिउद्दीन के *लकब से* मशहूर हुए ..5- गुजरात के इलाका पालनपुर के राजा बलवंत सिंह ने आपकी तबलीग़ इस्लाम से मुतासिर होकर इस्लाम कुबूल किया तो आपने उसका नाम राजा *जोरावर खान रखा* ।..6- हिंदुस्तान के चौथे सफर में अफगान सरदार ने इस्लाम कुबूल किया तो आपने उसका नाम *अब्दुल लतीफ* रखा जो बाद में *शेख़ ज़ाहिद के लकब* से मशहूर हुए।..7- हिंदुस्तान के छठ में सफर के दौरान पाटलिपुत्र (पटना) के जतीनगर मे *बद्रीनाथ* ने जब आपके हाथों इस्लाम कुबूल किया तो आपने उसका नाम *बदरुद्दीन रखा* ।8- *डाकू माखन सिंह* जब अपने गिरोह के साथ मुशर्रफ बा इस्लाम हुए तो आपने उसका नाम *खैरूद्दीन रखा* जोकि *मक्कन सर बाज के लकब* से मशहूर हुए।..9- हिंदुओं के एक बड़े गुरु *बाबा गोपाल* ने जब आपके हाथों इस्लाम कुबूल किया जो आगे चलकर आपके *खलीफा* हुए और जो *भीकारैन के लकब* से मशहूर हुए।..10-मक्खन अरबाज के 2 साथी जिनका नाम *नूरुद्दीन पहाड़ खां* और *शरफुद्दीन इलियास खां* नाम रखा गया।
भारत के उत्तरप्रदेश के मकनपुर में मदार शाह रह0 की दरगाह है । मदार शाह ने इस्लाम धर्म का प्रचार सारे भारतवर्ष में किया जिन लोगों ने मदार शाह के द्वारा इस्लाम धर्म अपनाया उन्हें 'शाह' उपनाम मिला । इस लेख के लेखक [[जावेद शाह खजराना]] भी मदार शाह के वंश से सम्बंध रखते है । [[पुरानी फ़ारसी]] में इसका रूप 'ख़्शायथ़ीय​' (<small>xšathiya</small>) था।
 
== शाह उपनाम राजवंश और सूफी-संतों की उपाधि ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/शाह" से प्राप्त