"किशोरी लाल गोस्वामी": अवतरणों में अंतर

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'''किशोरी लाल गोस्वामी''' जी का जन्म सन् 1886 ई. में वृंदावन के एक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। इनका परिवार निम्बार्क सम्प्रदाय का अनुयायी था। किशोरी लाल गोस्वामी के पितामह [[वृंदावन]] के सर्वश्रेष्ठ विद्वान् एवं [[आचार्य]] थे। किशोरी लाल गोस्वामी के नाना वाराणसी के संस्कृतज्ञ थे। इन्हीं से भारतेन्दु जी ने छन्दशास्त्र सीखा था। किशोरी लाल जी का लालन-पालन और शिक्षण इनके नाना के घर वाराणसी में हुआ। इसी कारण किशोरी लाल गोस्वामी [[भारतेन्दु]]<ref>{{Cite web|url=https://www.bharatdiscovery.org/india/%25E0%25A4%25AD%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25A8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%2581_%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0|title=भारतेन्दु हरिश्चंद्र|last=|first=|date=|website=bharat discovery|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref> जी के सम्पर्क में आए। 1898 ई. में किशोरी लाल गोस्वामी जी ने ‘उपन्यास’ पत्रिका निकाली जिसमें इनके उपन्यास प्रकाशित हुआ करते थे। किशोरी लाल गोस्वामी जी ‘सरस्वती’‘[[सरस्वती पत्रिका|सरस्वती]]’ के पंचायती सम्पादक मण्डल के सदस्य थे। उनने लगभग 65 उपन्यासों के अतिरिक्त कई कविताएं और विविध विषयों पर अपनी सिद्धहस्त लेखनी चलाई। '''इंदुमती''' और ''गुलबहार'' कहानियों के लेखक गोस्वामी जी को प्रथम कहानीकार होने का श्रेय प्राप्त है। किशोरी लाल गोस्वामी जी सांसारिक यात्रा पूर्ण कर 66 वर्ष की उम्र (1932 ई.) में स्वर्गगामी हुए।
 
== मुख्य कृतियाँ ==