"पुद्गल": अवतरणों में अंतर
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[[जैन दर्शन]] के अनुसार स्थूल भौतिक पदार्थ '''पुद्गल''' कहलाता है क्योंकि यह अणुओं के संयोग और वियोग का खेल है। पुद्घाल में स्पर्श, रस, गंध, वर्ण होते है। ये उसके विशेष गुण है। जहा इनमें से कोई एक भी गुण होगा वहा नियम से बाकी तीनों गुण होगे ही। जो
==व्युत्पत्ति==
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