"कल्हण": अवतरणों में अंतर
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== परिचय ==
वास्तव में कल्हण एक विलक्षण महाकवि था। उसकी "सरस्वती' रागद्वेष से अलेप रहकर "भूतार्थचित्रण' के साथ ही साथ "रम्यनिर्माण' में भी निपुण थी; तभी तो बीते हुए काल को "प्रत्यक्ष' बनाने में उसे सरस सफलता मिली है। "दुष्ट वैदुष्य' से बचने का उसने सुरुचिपूर्ण प्रयत्न किया है और "कविकर्म' के सहज गौरव को प्रणाम करते हुए उसने अपनी प्रतिभा का सचेत उपयोग किया है। इतिहास और काव्य के संगम पर उसने अपने "प्रबंध' को शांत रस का "मूर्धाभिषेक' दिया है और अपने पाठाकों को राजतरंगिणी की अमंद रसधारा का आस्वादन करने को आमंत्रित किया है।
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