"परमाणु बम": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
पंक्ति 6:
 
== परिचय ==
परमाणु बम में विस्फुटित होने वाला पदार्थ [[यूरेनियम]] या [[प्लूटोनियम|प्लुटोनियम]] होता है। यूरेनियम या प्लुटोनियम के [[परमाणु विखंडन]] (Fission) से ही शाक्ति प्राप्त होती है। इसके लिए परमाणु के केंद्रक (nucleus) में [[न्यूट्रॉन]] (neutron) से प्रहार किया जाता है। इस प्रहार से ही बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है। इस प्रक्रम को भौतिक विज्ञानी [[नाभिकीय विखंडन]] (nuclear fission) कहते हैं। परमाणु के नाभिक के अभ्यंतर में जो न्यूट्रॉन होते हैं उन्हीं से न्यूट्रान मुक्त होते हैं। ये न्यूट्रॉन अन्य परमाणुओं पर प्रहार करते हैं और उनसे फिर विखंडन होता है। ये फिर अन्य परमाणुओं का विखंडन करते हैं। इस प्रकार शृंखला क्रियाएँ आरंभ होती हैं। परमाणु बम की अनियंत्रित शृंखला क्रियाओं के फलस्वरूप भीषण प्रचंडता के साथ परमाणु का विस्फोट होता है।
 
यूरेनियम के कई [[समस्थानिक]] ज्ञात हैं। सामान्य यूरेनियम में 99.3 प्रतिशत यू-238 (U-238) और 0.7 प्रतिशत यू-235 (U-235) रहते हैं। यू-238 का विखंडन उतनी सरलता से नहीं होता जितनी सरलता से यू-235 का विखंडन होता है। यू-235 में यू-238 की अपेक्षा तीन न्यूट्रॉन कम रहते हैं। न्यूट्रॉन की इस कमी के कारण ही यू-235 का विखंडन सरलता से होता है।
 
अन्य विखंडनीय पदार्थ जो परमाणु बम में काम आते हैं वे यू-233 और प्लुटोनियम-239 हैं। परमाणु विस्फोट के लिए विखंडनीय पदार्थ की [[क्रांतिक संहति]] (critical mass) आवश्यक होती है। शृंखला क्रिया के चालू करने के लिए क्रांतिक संहति न्यूनतम मात्रा है। यदि विखंडनीय पदार्थ की मात्रा क्रांतिक संहति से कम है तो न्यूट्रॉन केवल धुर्रधुर्र करता रहेगा। मात्रा के धीरे धीरे बढ़ाने से एक समय ऐसी अवस्था आएगी जब कम से कम एक उन्मुक्त न्यूट्रॉन एक नए परमाणु पर प्रहार कर उसका विखंडन कर देगा। ऐसी स्थिति पहुँचने पर विखंडन क्रिया स्वत: चलने लगती है। [[क्रांतिक संहति]] की मात्रा गोपनीय है। जो राष्ट्र परमाणु बम बनाते है वे ही जानते हैं और दूसरों को बतलाते नहीं।
 
यदि यू-235 की [[क्रांतिक द्रव्यमान|क्रांतिक संहति]] 20 पाउंड है तो दस दस पाउंड दो जगह लेने से शृंखला क्रिया चालू नहीं होगी। 20 पाउंड को एक साथ लेने से ही शृंखलाक्रिया चालू होगी। शृंखलाक्रिया में न्यूट्रॉन की संख्या बड़ी शीघ्रता से बढ़ती है।
 
परमाणु बम में विखंडन से यूरेनियम और उसे निकटवर्ती अन्य पदार्थों का ताप बड़ी शीघ्रता से ऊपर उठता है। धात्विक यूरेनियम बड़ी ऊँची दाब और ताप पर तापदीप्त गैस में परिणत हो जाता है। विस्फोटक पिंड का ताप 10,00,00,000° से. तक उठ जाता है। इतने ऊँचे ताप पर यूरेनियम की [[थापी]] (tamper) हट जाती है। तब सारा पिंड बड़ी प्रचंडता से विस्फुटित होता है। परमाणु बम के विस्फुटित होने पर [[आधात तरंगें]] (Shock waves) उत्पन्न होती हैं जो ध्वनि की गति से भी अधिक गति से चारों ओर फैलती है। जब परमाणु बम को पृथ्वीतल के ऊपर विस्फुटित किया जाता है तो तरंगें पृथ्वीतल से टकराकर ऊपर उठती हैं और नया आघात उत्पन्न करती हैं जो ऊपर और नीचे तीव्रता से फैलता है। भारत पर 257 parmanu bomb है।जो कि पाकिस्तान से कहि अधिक है। स्फोटविस्फोट (Bomb blast) का केंद्र तत्काल तप्त होकर निर्वात उत्पन्न करता है। निर्वात भरने के लिए आसपास की ठंडी हवाएँ दौड़ती है। इस प्रकार परमाणु बम से घरों पर आघात पड़ने से वे टूट जाते हैं।
 
विस्फोटी यूरेनियम अन्य तत्वों में बदल जाता है, उससे रेडियो ऐक्टिवेधी किरणें निकलकर जीवित कोशिकाओं को आक्रांत कर उन्हें नष्ट कर देती हैं। बम का विनाशीकारी कार्य (1) आघात तरंगों, (2) वेधी किरणों तथा (3) अत्यधिक ऊष्मा उत्पादन के कारण होता है।