"परमाणु बम": अवतरणों में अंतर

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== हाइड्रोजन बम ==
हाइड्रोजन बम परमाणुबमपरमाणु बम का एक किस्मप्रकार है। हाइड्रोजन बम या एच-बम (H-Bomb) अधिक शक्तिशाली परमाणु बम होता है। इसमें हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यू टीरियम[[ड्यूटीरियम]] (deuterium) और [[ट्राइटिरियम]] की आवश्यकता पड़ती है। परमाणुओं के संलयन करने (fuse) से बम का विस्फोट होता है। इस संलयन के लिए बड़े ऊँचे, ताप, लगभग 500,00,000° सें. की आवश्यकता पड़ती है। यह ताप सूर्य के ऊष्णतम भाग के ताप से बहुत ऊँचा है। परमाणु बम द्वारा ही इतना ऊँचा ताप प्राप्त किया जा सकता है। [[अमेरिका]], [[इंग्लैंड]], [[रूस]], [[चीन]][[भारत]] ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। माना जा रहा हा कि [[उत्तर कोरिया]] ने भी एेसा खतरनाक बम बनाया है।
 
जब परमाणु बम आवश्यक ताप उत्पन्न करता है तभी हाइड्रोजन परमाणु [[संलयित]] (fuse) होते हैं। इस [[संलयन]] (fusion) से ऊष्मा और शक्तिशाली किरणें उत्पन्न होती हैं जो हाइड्रोजन को हीलियम में बदल देती हैं। 1922 ई. में पहले पहल पता लगा था कि हाइड्रोजन परमाणु के विस्फोट से बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।
 
1932 में [[ड्यूटीरियम]] नामक भारी हाइड्रोजन का और 1934 ई. में [[ट्राइटिरियम]] (ट्रिशियम) नामक भारी हाइड्रोजन का आविष्कार हुआ। 1950 ई. में [[संयुक्त राज्य अमेरिका|संयुक्त राज्य अमरीका]] के राष्ट्रपति ट्रु मैन ने हाइड्रोजन बम तैयार करने का आदेश दिया। इसके लिए 1951 ई. में साउथ कैरोलिना में एक बड़े कारखाने की स्थापना हुई। 1953 ई. में राष्ट्रपति आइजेनहाबर ने घोषणा की थी कि TNT के लाखों टन के बराबर हाइड्रोजन बम तैयार हो गया है। 1955 ई. में [[सोवियत संघ]] ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। [[चीन]] और [[फ़्रान्स|फ्रांस]] ने भी हाइड्रोजन बम के विस्फोट किए हैं।