"रायसेन ज़िला": अवतरणों में अंतर

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== दर्शनीय स्थल ==
'''भोजपुर''',=== भोजपुर===
'''साँची''',
'''भीमबेटका (भीमबैठका)'''
'''मॉ हिंगलाज मंदिर बाडी'''
 
{{main|भोजपुर, मध्य प्रदेश}}
प्राचीन काल का यह नगर "उत्तर भारत का सोमनाथ' कहा जाता है। यह स्थान भोपाल से २५ किमी की दूरी पर रायसेन जिले में वेत्रवती नदी के किनारे बसा है। गाँव से लगी हुई पहाड़ी पर एक विशाल शिव मंदिर है। इस नगर तथा उसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (१०१० ई.- १०५३ ई.) ने किया था। अतः इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर पूर्ण रुपेण तैयार नहीं बन पाया। इसका चबूतरा बहुत ऊँचा है, जिसके गर्भगृह में एक बड़ा- सा पत्थर के टूकड़े का पॉलिश किया गया लिंग है, जिसकी ऊँचाई ३.८५ मी. है। इसे भारत के मंदिरों में पाये जाने वाले सबसे बड़े लिंगों में से एक माना जाता है।
 
'''===साँची''',===
{{main|साची। मध्य प्रदेश}}
{{main|साँची का स्तूप}}
प्राचीन काल का यह नगर * [[भोपाल]] से ४५ किमी की दूरी पर रायसेन जिले में वेत्रवती नदी के किनारे बसा है। नगर से लगी हुई पहाड़ी पर एक विशाल बोद्ध स्तूप है। इस स्तूप में भगबान बोद्ध की अस्थिया रखी हुइ है।
 
{{main|भीमबेटका (भीमबैठका)
'''===भीमबेटका (भीमबैठका)'''===
{{main|भीमबेटका (भीमबैठका) }}
'''भीमबेटका''' (भीमबैठका) [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] प्रान्त के [[रायसेन जिला|रायसेन जिले]] में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। ये शैलचित्र लगभग नौ हजार वर्ष पुराने हैं। अन्य पुरावशेषों में प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, [[शुंग राजवंश|शुंग]]-[[गुप्त राजवंश|गुप्त कालीन]] अभिलेख, शंख अभिलेख और [[परमार राजवंश|परमार कालीन]] मंदिर के अवशेष भी यहां मिले हैं। भीम बेटका क्षेत्र को [[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण]], [[भोपाल|भोपाल मंडल]] ने [[अगस्त]] [[१९९०]] में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया। इसके बाद [[जुलाई]] [[२००३]] में [[यूनेस्को]] ने इसे [[विश्व धरोहर स्थल]] घोषित किया है। ये भारत में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान [[महाभारत]] के चरित्र [[भीम]] से संबन्धित है एवं इसी से इसका नाम ''भीमबैठका'' पड़ा। ये गुफाएँ मध्य भारत के [[पठार]] के दक्षिणी किनारे पर स्थित [[विन्ध्याचल]] की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं।<ref name="इन्क्रेडिबल">{{cite web|first=|last=|author=|authorlink=|coauthors=|title=भीमबेटका की गुफाएँ|url=http://www.incredibleindia.org/hindi/heritage/bhimbetka.htm|archiveurl=https://web.archive.org/web/20100613003926/http://incredibleindia.org/hindi/heritage/bhimbetka.htm|work=|publisher=इन्क्रेडिबल इण्डिया|location=|trans_title=|page=|pages=०१|language=हिन्दी|format=एचटीएम|doi=|date=|month=|year=|archivedate=13 जून 2010|quote=|accessdate=१८ जुलाई २००९|url-status=dead}}</ref>; इसके दक्षिण में [[सतपुड़ा]] की पहाड़ियाँ आरम्भ हो जाती हैं।<ref name="भारत">{{cite web|first= |last= |author= |authorlink= |coauthors= |title= भीमबेटका की पहाड़ी गुफाएं|url= http://bharat.gov.in/knowindia/bhimbetka.php|archiveurl= https://web.archive.org/web/20090513191854/http://bharat.gov.in/knowindia/bhimbetka.php|work= राष्ट्रीय पोर्टल विषयवस्तु प्रबंधन दल|publisher= भारत सरकार|location= |trans_title= |page= |pages= ०१|language= हिन्दी|format= पीएचपी|doi= |date= |month= |year= |archivedate= 13 मई 2009|quote= |accessdate= १८ जुलाई २००९|url-status= live}}</ref> इनकी खोज वर्ष [[१९५७]]-[[१९५८]] में डाक्टर [[विष्णु श्रीधर वाकणकर]] द्वारा की गई थी।
 
'''===जामगढ'''===
रायसेन जिले की बरेली तहसील में जामगढ आदि मानव की आश्रय स्थली के रूप में जाना जाता है। यहां जामवंत की प्रस्तर गुफा के साथ ही गुफाओं की श्रंखला है। पास में ही भगदेई में खजुराहो शैली का शिव मंदिर है। इस मंदिर को गुर्जर -प्रतिहार वंश कालीन माना जाता है। कई विद्वानों का मानना है कि है यह ऐतिहासिक शिव मंदिर 5 वीं, 6वीं सदी का भी हाे सकता है।