"लिंग (व्याकरण)": अवतरणों में अंतर

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[[व्याकरण]] के सन्दर्भ में '''लिंग''' से तात्पर्य [[भाषा]] के ऐसे प्रावधानों से है जो वाक्य के [[कर्ता]] के स्त्री/पुरुष/निर्जीव होने के अनुसार बदल जाते हैं। विश्व की लगभग एक चौथाई भाषाओं में किसी न किसी प्रकार की लिंग व्यवस्था है। [[हिन्दी]] में दो लिंग होते हैं (पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग) जबकि [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में तीन लिंग होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसक लिंग। [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] जैसे भाषाओं में लिंग होता नहीं, और भी [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] में लिंग सिर्फ़ [[सर्वनाम]] में होता है।
 
; उदाहरण uh
: मोहन पढ़ता है। (पढ़ता का रूप पुल्लिंग है, इसका स्त्रीलिंग रूप 'पढ़ती' है। )
: गीता गाती है। (यहाँ, 'गाती' का रूप स्त्रीलिंग है।)