"हिंदी साहित्य": अवतरणों में अंतर

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[[आधुनिक काल]] हिंदी साहित्य पिछली दो सदियों में विकास के अनेक पड़ावों से गुज़रा है। जिसमें गद्य तथा पद्य में अलग अलग विचार धाराओं का विकास हुआ। जहां काव्य में इसे [[छायावाद|छायावादी युग]], [[प्रगतिवादी युग]], [[प्रयोगवादी युग]] और [[यथार्थवादी युग]] इन चार नामों से जाना गया, वहीं गद्य में इसको, [[भारतेन्दु युग|भारतेंदु युग]], [[द्विवेदी युग]], [[रामचंद‍ शुक्ल व प्रेमचंद युग]] तथा [[अद्यतन युग]] का नाम दिया गया।
 
अद्यतन युग के [[गद्य]] साहित्य में अनेक ऐसी साहित्यिक विधाओं का विकास हुआ जो पहले या तो थीं ही नहीं या फिर इतनी विकसित नहीं थीं कि उनको साहित्य की एक अलग विधाhविधा का नाम दिया जा सके। जैसे [[डायरी लेखन|डायरी]], या‌त्रा विवरण, [[आत्मकथा]], रूपक, रेडियो नाटक, पटकथा [[लेखन]], [[फ़िल्म]] आलेख इत्यादि.
 
=== नव्योत्तर काल ===