"ऐतरेय आरण्यक": अवतरणों में अंतर

Ref improve जोड़ा
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
Fixed the file syntax error.
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन
पंक्ति 1:
{{Refimprove|date= जुलाई 2018}}
[[चित्र:Rig Veda, Sanskrit, vol6.djvu|thumb|BBPS|350px| रिग वेद पद पाथा और स्कंद शास्त्री उदगित के भाषयास , वेंकट माधव व्याख्य और व्रित्ति मुदगलास आधारित सन्यास भाषया पर उपलब्ध कुछ भागों के साथ।।]]
 
'''ऐतरेय आरण्यक''' [[ऐतरेय ब्राह्मण]] का अंतिम खंड है। "ब्राह्मण" के तीन खंड होते हैं जिनमें प्रथम खंड तो ब्राह्मण ही होता है जो मुख्य अंश के रूप में गृहीत किया जाता है। "आरण्यक" ग्रंथ का दूसरा अंश होता है तथा "उपनिषद्" तीसरा। कभी-कभी उपनिषद् आरण्यक का ही अंश होता है और कभी कभी वह आरण्यक से एकदम पृथक् ग्रंथ के रूप में प्रतिष्ठित होता है। ऐतरेय आरण्यक अपने भीतर "ऐतरेय उपनिषद्" को भी अंतर्भुक्त किए हुए हैं।