"स्मृति (मनोविज्ञान)": अवतरणों में अंतर

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अब तक स्मृति की क्रियाविधि पर बात हो रही थी। यह प्रश्न अभी बाकी है कि हमारा मस्तिष्क इन सूचनाओं को कैसे संग्रहित करता है और तंत्रिका तंत्र की कौन-कौन सी गतिविधियां इसके लिए उत्तरदाई होती हैं। यदि स्मृति हमारे मस्तिष्क में रहती है तो इसके भौतिक निरूपण के कुछ प्रमाण भी होने चाहिए। इस दिशा में बहुत सारे शोध हुए हैं और इसके संदर्भ में बहुत सी व्याख्याएं भी प्रस्तुत की गईं हैं। यह तो आरंभ से ही मालूम था कि स्मृति निर्माण के लिए जैविक अणु ही जिम्मेदार होते हैं। सबसे पहले 1960 के दशक में DNA (डी ऑक्सी राइबोज न्यूक्लिक अम्ल) अणुओं के व्युत्पन्न के आधार पर इसकी व्याख्या करने की कोशिश की गई। यह बताया गया कि स्मृति के जैविक निरूपण के लिए mRNA (संदेश वाहक राइबोज न्यूक्लिक अम्ल) के अणु जिम्मेदार होते हैं। उल्लेखनीय है कि ये mRNA अणु हमारे जीनी संदेशों और प्रोटीन निर्माण के लिए मुख्य रूप से संबंधित होते हैं। बाद के वर्षों में यह देखा गया कि स्मृति के भौतिक आधार की यह परिकल्पना सही नहीं है और इस क्षेत्र में कोई भी विचार प्रस्तुत करने के लिए नए अविष्कारों की आवश्यकता है। 1970 के दशक में स्मृति के भौतिक निरूपण के संबंध में कुछ नए विचार आए। यह बताया गया कि मस्तिष्क में स्मृति क्षीण विद्युतीय तरंगो के रूप में उत्पन्न होती है और यह किसी तरह से मस्तिष्क की रचना में अति सूक्ष्म स्तर पर स्थाई भौतिक परिवर्तन करती है। यह भौतिक परिवर्तन एक नई स्मृति को निरूपित करता है। इस व्याख्या के बारे में उल्लेखनीय होगा कि यह विभिन्न प्रयोगात्मक परिक्षणों पर आधारित थी और सही भी थी। लेकिन यहां इस बात की व्याख्या नहीं हो पाती थी कि “क्षीण वैद्युतीय तरंगे संरचनात्मक रूप से कैसे और क्या परिवर्तन करती हैं।” हाल के वर्षों में हुए शोधों से स्मृति जौविकी के संबंध में नई जानकारियां मिली हैं। इनके अनुसार स्मृति निर्माण में दो प्रमुख कारक तंत्रिका रसायन और तंत्रिका कोशिका के साइनेप्स मुख्य भूमिका निभाते हैं। शोधों से इस बात के संकेत मिलते हैं कि दो तंत्रिका कोशिकाओं में सूचना संवहन के लिए जिम्मेदार न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे एसिटिलकोलीन इत्यादि) जो कि साइनेप्स द्वारा स्रावित होते है वे किसी विशेष स्मृति के लिए एक विशेष तंत्रिका प्रारूप (Neural Pattern) को बार-बार उत्तेजित करते हैं। फलस्वरूप एक पैटर्न बन जाता है। अनुभवों और बार-बार किये गए प्रयासों (कुछ याद करने का उदाहरण दे सकते हैं) से इस पैटर्न में थोड़ा परिवर्तन हो सकता है। किसी स्मृति विशेष के लिए यह पैटर्न स्थाई होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे प्रत्येक अनुभवों, कला, कौशल, स्मृति आदि के लिए निश्चित तंत्रिका प्रारूप होते हैं। जब हम किसी के बारे में सोचते हैं तो उससे संबंधित प्रारूप काम कर रहा होता है। जब हम कोई प्रश्न हल कर रहे होते हैं तो कोई दूसरा प्रारूप सक्रिय होता है।
== स्मृति संबधी अनियमितताएं और इसके कारण ==
हम सभी ने किसी न किसी समय ऐसी स्थिति का सामना किया होगा जब हम अपनी यादाश्तयाददाश्त को याद करते हैं। उदाहरण के लिए हम कुछ कहने जा रहे हों और अचानक ही भूल गए कि क्या कहना है या परीक्षा में प्रश्नपत्र के सारे उत्तर आ रहे हों लेकिन उनको लिखने के लिए शब्द नहीं मिल पा रहे हैं। यह स्मृति लोप के छोटे-छोटे उदाहरण हैं। दूसरी ओर आपने देखा होगा कि वृद्धावस्था में कुछ लोगों को भूलने की शिकायत होने लगती है। आइन्सटाइन के बारे में एक कहानी प्रचलित है कि एक बार वे अपने विश्वविद्यालय में टहल रहे थे तभी उनके एक विद्यार्थी ने उन्हें दोपहर के भोजन के लिए पूछा। आइन्सटाइन ने उससे पूछा कि जब आपने मुझे रोका तब मैं किस दिशा की ओर से आ रहा था? विद्यार्थी ने एक ओर इशारा कर के बताया कि आप उस दिशा की ओर से आ रहे थे। तब आइन्सटीन ने उत्तर दिया। धन्यवाद! तब तो मैने भोजन कर लिया है। ऐसी बहुत सी कथाएं दार्शनिकों और वैज्ञानिकों के संबंध में कही जाती हैं। यह छोटे स्तर पर हुए स्मृति लोप का एक उदाहरण है। उपरोक्त सभी घटनाओं में हम देखते हैं कि कहीं न कहीं से हमारे मस्तिष्क की सुगम क्रियाशीलता में रुकावट हो रही होती है। थोड़ी बहुत मात्रा में स्मृति संबंधी दोष तो लगभग सभी में होता है लेकिन इसे रोग का नाम नहीं दिया जा सकता। जब इन लक्षणों के कारण व्यक्ति औरउससे जुड़े लोग प्रभावित होने लगे तभी इसे स्मृतिभ्रंश का नाम देते हैं। इस प्रकार के रोगी केवल आधे घंटे पहले मिले लोगों को याद नहीं रख पाते। उन्हे यह भी याद नहीं रहता कि दस मिनट पहले उन्होने स्नान किया था। जीवन की सामान्य क्रियाएं बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित होने लगती हैं। स्मृति लोप या स्मृति भ्रंश (Amnesia), स्मृति संबंधी एक ऐसी घटना है जिसमें इससे संबंधित किसी भी प्रक्रम जैसे स्मरण या संग्रहण में बाधा उत्पन्न हो जाती है और जिसके फलस्वरूप हमारी सामान्य स्मृति प्रभावित होती है। यह बाधा किसी भी शारीरिक या मनोवैज्ञानिक कारणों जैसे मस्तिष्क की चोट या किसी अन्य कारण से हुई क्षति, बिमारी, पोषक तत्वों की कमी, सदमें, अत्यधिक शराब के सेवन से, नशीली दवाइयों और अधिक उम्र के कारण हो सकती है। यहां स्मृतिलोप के कुछ मुख्य प्रकारों का वर्णन किया गया है।
=== कोरसाकॉफ सिंड्रोम (Korsakoff’s Syndrome) ===
शराब का अत्याधिक सेवन करने वाले लोगों में इसके लक्षण देखने को मिलते हैं। शराब से लंबे समय तक अधिक मात्रा में सेवन करने से मुख्यतः दो समस्याएं होती हैं। एक तो थाइमिन विटामिन की खतरनाक स्तर पर कमी हो जाती है और दूसरी, मस्तिष्क में कुछ हानिकारक संरचनात्मक परिवर्तन हो जाते हैं। इनके फलस्वरूप रोगियों कि स्मृति बुरी तरह से प्रभावित होती है। ऐसा देखा गया है कि इनकी वर्तमानकाल की स्मृति तो ठीक होती है लेकिन बीती घटनाओं को याद नहीं रख पाते और बहुत सी महत्वपूर्ण यादें इनकी स्मृति से पूरी तरह से गायब दिखाई देती हैं।
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=== अभिप्रेरित विस्मृति (Motivated Forgetting) ===
यह देखा गया है कि कभी कभी हमारा मन हमें कुछ विशेष स्मृतियों तो भूलने के लिए भी प्रेरित करता है। और हम उन्हें पूरी तरह से भूल भी जाते हैं। हमारे वर्तमान को सुखद बनाने के लिए प्रकृति द्वारा ऐसी व्यवस्था की गई है। ऐसा विशेष तौर पर बहुत ही पीड़ादायक स्मृतियों के संदर्भ में होता है। उदाहरण के लिए बाल्यकाल में हुई कोई दुखद घटना, दंड आदि। यहां उल्लेखनीय होगा कि ये स्मृतियां केवल हमारे चेतन मन से लुप्त होती हैं। कहीं गहरे अचेतन में इनके अंश विद्यमान होते हैं।
 
== स्मृति युक्तियां ==
[[चित्र:BoobaKiki.png|thumb|250px|'''कुछ लोगों को विभिन्न ध्वनियां ऐसी भी दिखाई पड़ती हैं''']]