"राव जैताजी राठौड़": अवतरणों में अंतर

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06:52, 17 जनवरी 2021 का अवतरण

राव जैताजी राठौड़ एक महान राजपूत योद्धा थें । उन्होंने आज से लगभग 500 साल पहले अदम्य साहस, वीरता, पराक्रम एवं बलिदान का वो अध्याय लिखा था, जो सदियो तक विश्व मानवता को स्वाभिमान, पराक्रम और बलिदान के लिए प्रेरित करता रहेगा ।

गिरी सुमेल के युद्ध में उन्होंने अपने शौर्य,साहस और बलिदान का परिचय दिया । सन् 1544 ई० में लड़ा जाने वाला यह युद्ध, दिल्ली के सुल्तान- शेर शाह सूरी और जोधपुर के शाशक राव मालदेव के तरफ से राव जैता और कुम्पा के बीच हुआ । इस युद्ध में राजपूतों की सेना सिर्फ 8,000 की रही, जबकि शेर शाह सूरी के पास 80,000 का एक विशाल फौज था । लेकिन फिर भी राजपूतों की छोटी से सेना ने शेर शाह सूरी के 36,000 सैनिको को मौत के घाट उतार दिया और अंत में राव जैता और राव कुम्पा वीर गति को प्राप्त हुए ।

युद्ध के बाद शेरशाह के खुद के शब्द थे - "मूठी खातर बाजरी, खो देतो हिंदवाण ।" इसका अर्थ है कि : "आज मैं मुट्ठी भर बाजरे (मारवाड़) के लिए पूरा हिंदुस्तान खो देता ।"