"राव जैताजी राठौड़": अवतरणों में अंतर
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युद्ध के बाद शेरशाह के खुद के शब्द थे -
"''मूठी खातर बाजरी, खो देतो हिंदवाण ।''"
अर्थात : ''<big>"आज मैं मुट्ठी भर बाजरे
==राजपुरोहितों का योगदान==
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