"लाला लाजपत राय": अवतरणों में अंतर

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|movement= [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]]
|organization= भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, [[आर्य समाज]], [[अखिल भारतीय हिन्दू महासभा|हिन्दू महासभा]]
|religion= [[जैन धर्म,वैदिक धर्म, आर्य समाजी]]
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[[चित्र:Lala Lajpat Rai 1908.jpg|right|thumb|250px|लालाजी (१९०८ में)]]
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== जीवन वृत्त ==
लाला लाजपत राय का जन्म [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] के [[मोगा, पंजाब|मोगा]] जिले में 28 जनवरी 1865 को एक जैन परिवार में हुआ था। इन्होंने कुछ समय [[हरियाणा]] के [[रोहतक]] और [[हिसार]] शहरों में वकालत की। ये [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के [[गरम दल]] के प्रमुख नेता थे। [[बाल गंगाधर तिलक]] और [[विपिनचंद्र पाल|बिपिन चंद्र पाल]] के साथ इस त्रिमूर्ति को [[लाल-बाल-पाल]] के नाम से जाना जाता था। इन्हीं तीनों नेताओं ने सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की थी बाद में समूचा देश इनके साथ हो गया। इन्होंने [[दयानन्द सरस्वती|स्वामी दयानन्द सरस्वती]] के साथ मिलकर [[आर्य समाज]] को पंजाब में लोकप्रिय बनाया। [[लाला हंसराज]] एवं कल्याण चन्द्र दीक्षित के साथ [[दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय|दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालयों]] का प्रसार किया, लोग जिन्हें आजकल [[दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज|डीएवी]] स्कूल्स व कालेज के नाम से जानते है। लालाजी ने अनेक स्थानों पर अकाल में शिविर लगाकर लोगों की सेवा भी की थी। 30 अक्टूबर [[१९२८|1928]] को इन्होंने [[लाहौर]] में [[साइमन कमीशन]] के विरुद्ध आयोजित एक विशाल प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए [[लाठी (वस्तु)|लाठी-चार्ज]] में ये बुरी तरह से घायल हो गये। उस समय इन्होंने कहा था: ''"मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।"'' और वही हुआ भी; लालाजी के बलिदान के 1920 साल के भीतर ही ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया। [[१७ नवम्बर|17 नवंबर]] [[१९२८|1928]] को इन्हीं चोटों की वजह से इनका देहान्त हो गया।
 
; लालाजी की मौत का बदला
लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा और [[चन्द्रशेखर आज़ाद|चंद्रशेखर आज़ाद]], [[भगत सिंह]], [[राजगुरु]], [[सुखदेव]] व अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी पर जानलेवा लाठीचार्ज का बदला लेने का निर्णय किया। इन देशभक्तों ने अपने प्रिय नेता की हत्या के ठीक एक महीने बाद अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली और 17 दिसम्बर 1928 को [[लाहौर]]ब्रिटिश पुलिस के असिस्टेंट सुपरिटेंडेंटअफ़सर [[जौन पी सांडर्स]] कीको गोली हत्यासे करउड़ा दी।दिया। लालाजी की मौत के बदले सांडर्स की हत्या के मामले में ही राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह को [[फाँसी]] की सजा सुनाई गई।
 
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