"अंजलिकास्त्र": अवतरणों में अंतर

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== [[महाभारत]] ==
[[चित्र:Arjuna Slays Karna, page from a copy of the Razmnama, Mughal period.jpg|अंगूठाकार|362x362पिक्सेल|अंजलिकास्त्र से अर्जुन कर्ण का वध करता है।]]
[[कुरुक्षेत्र युद्ध]] के सत्रहवे दिन को [[अर्जुन|इन्द्रपुत्र अर्जुन]] एवं [[कर्ण|सूर्यपुत्र कर्ण]] का युद्ध हुआ<ref> [[महर्षि दुर्वासा]] से [[कुन्ती|पृथा]] ने अर्थववेद[[अथर्ववेद]] का ज्ञान प्राप्त किया था। इसी से वो किसी भी [[देवता]] से वरदान में पुत्र पा सकती थीं। विवाह के पूर्व [[सूर्यदेव]] ने कुन्ती को कर्ण दिया। विवाह के पश्चात उसे [[यमराज]], [[वायुदेव]] एवं [[इन्द्र|देवराज]] से [[युधिष्ठिर]], [[भीम]] एवं [[अर्जुन]] को प्राप्त हुआ। </ref>। अर्जुन के सारथी [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] थें एवं कर्ण के सारथी [[शल्य|मद्रनरेश शल्य]] थें।
 
जब कर्ण ने आगे बढ़ने का प्रयत्न किया, [[पृथ्वी (माता)|भूदेवी]] के दिए गए श्राप से उसके रथ का पहिया कीचड़ में अटक गया। उसने [[ब्रम्हास्त्र]] प्रयोग में लाना चाहा परंतु [[परशुराम]] के दिए गए श्राप के कारण यह भी संभव नहीं हो पाया। अंत में विवश होकर उसने पहिए को कीचड़ से निकालने का प्रयत्न किया।