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Yadav bhati rajput
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राजस्थान के भरतपुर जिले जिस पहले लोहागढ़ के नाम से जाना जाता था। उस पर हमरे पूर्वज सीनसीना बाबा (यदुवंशी) का राज हुए करता था जिस से हमारा गोत्र सीनसीनवार पड़ा। बताया जाता है, कि लोहागढ़ पर आज तक मुगल और आंग्रेज भी राज नहीं कर सके। उस समय महाराजा सूरजमल सीनसीनवर राज कर रहे थे। [[सदस्य:हेमंत फौजदार|हेमंत फौजदार]] ([[सदस्य वार्ता:हेमंत फौजदार|वार्ता]]) 05:17, 5 मई 2020 (UTC)
 
== जाटों में भी है यदुवंशी ==
भरतपुर ओर धौलपुर यदुवंशी राजपूतो जादोन्न के हो वंसज हैं मित्र। [[सदस्य:L s bhati rajput|L s bhati rajput]] ([[सदस्य वार्ता:L s bhati rajput|वार्ता]]) 11:54, 2 जून 2020 (UTC)
 
जब दुरिका पूरी नष्ट हुई थी उस समय सारे यदुवंशी जगह जगह जाकर वस गए।
 
राजस्थान के भरतपुर जिले जिस पहले लोहागढ़ के नाम से जाना जाता था। उस समय सीनसीना बाबा (यदुवंशी) का राज हुए करता था जिस से उनके वंशी सीनसीनवार नाम से जाने जाते हैं और कुछ समय बाद उनको फौजदार नाम से भी जानने लगे। लोहागढ़ पर आज तक मुगल और आंग्रेज भी राज नहीं कर सके। उस समय महाराजा सूरजमल सीनसीनवर राज करते थे। [[सदस्य:हेमंत फौजदार|हेमंत फौजदार]] ([[सदस्य वार्ता:हेमंत फौजदार|वार्ता]]) 05:28, 5 मई 2020 (UTC)
 
यदु वंश /यादवों का इतिहास, शाखायें व कुलदेवी | History of Yadu Vansh | Yadav Samaj ka Itihas | Khaanp | Kuldevi
Sanjay SharmaSanjay Sharma
2 वर्ष ago
 
 
यदुवंश का परिचय व इतिहास
भारत की समस्त जातियों में यदुवंश बहुत प्रसिद्ध है | माना जाता है कि इस वंश की उत्पत्ति श्रीकृष्ण के चन्द्रवंश से हुई है। यदु को सामान्यतः जदु भी कहते हैं तथा ये पूरे भारत में बसे हुए हैं। श्रीकृष्ण के पुत्रों प्रद्युम्न तथा साम्ब के ही वंशज यादव कहलाये। इन्हीं के वंशज जावुलिस्तान तक गए और गजनी तथा समरकन्द के देशों को बसाया। इसके बाद फिर भारत लौटे और पंजाब पर अधिकार जमाया, उसके बाद मरुभूमि यानी राजस्थान आये, और वहाँ से लङ्गधा, जोहिया और मोहिल आदि जातियों को निकालकर क्रमशः तन्नोट, देराबल और सम्वत् 1212 में जैसलमेर की स्थापना की।
 
जैसलमेर में इसी वंश में ‘भाटी’ नामक एक प्रतापी शासक हुआ। इसी के नाम से यहाँ का यदुवंश भाटी कहलाया। भाटी के पुत्र ‘भूपति’ ने अपने पिता के नाम से ‘भटनेर’ की स्थापना की।
 
यदुवंश के नाम को धारण करने वाले करौली के नरेश हैं। यदुकुल की यह शाखा अपने मूल स्थान शूरसेनी (मथुरा के आसपास का क्षेत्र) के निकट ही स्थित है। इनके अधिकार में पहले बयाना था परन्तु वहां से निष्कासित कर दिए जाने के बाद ,इन्होंने चम्बल के पश्चिम में करौली और पूर्व में सबलगढ़ (यदुवाटी) स्थापित किए।
 
यदुवंश की शाखाएं
यदुवंश की आठ शाखाएं हैं-
 
1. यदु करौली के राजा |
 
2. भाटी जैसलमेर के राजा |
 
3. जाडेजा कच्छभुज के राजा |
 
4. समेचा सिन्ध के निवासी |
 
5. मुडैचा
 
6. विदमन अज्ञात
 
7. बद्दा
 
8. सोहा
 
एक शाखा ‘जाडेजा’ जाति है। जाडेजा की दो शाखाएं हैं – सम्मा और सुमरा। सम्मा अपने को श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब का वंशज बताते हैं। कच्छ भुज का राजवंश जाडेजा था। समेचा सिन्ध के मुसलमान हो गए। इस जाति के लोग कई कारणों से सिन्ध के मुसलमानों से ऐसे मिलजुल गये हैं कि अपना जाति अभिमान सर्वथा खो दिया है। यह साम से जाम बन गये हैं। जाडेजों के रीति रिवाज मुसलमानों से मिलते हैं। उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ तक वे मुसलमानों का बनाया खाना खाते थे। अब वे पुनः हिन्दुओं की रीति-नीति पर चलने लगे हैं।
 
यादवों के राज्य
जैसलमेर
करौली
सेउण (नासिक और देवगिरि मध्य का क्षेत्र)
देवगिरि
मैसूर
विजयनगर
द्वार समुद्र जूनागढ़ (गुजरात)
कच्छ-भुज
नवानगर (जामनगर)
धौलपुर
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