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== व्यवसाय ==
हरिहरन ने सेंट थॉमस कॉलेज, त्रिशूर और यूनिवर्सल आर्ट्स कॉलेज, [[कोड़िकोड|कोझीकोड]] में अध्ययन किया। <ref>{{Cite web|url=http://www.mathrubhumi.com/movies/interview/302663/|title=സംഗീതം ഹരിഹരന്‍|website=Mathrubhumi|archive-url=https://web.archive.org/web/20131215003722/http://www.mathrubhumi.com/movies/interview/302663/|archive-date=15 December 2013|access-date=2013-12-14}}</ref> उन्होंने अपनी शुरूआत 1965 में फिल्म निर्देशक एम. कृष्णन नायर के साथ सहायक निर्देशक के रूप में काम करते हुए की। उनके साथ काम करते हुए उन्होंने मलयालम फिल्म उद्योग में प्रवेश किया। 1973 में उनकी पहली फ़िल्म ''लेडीज़ हॉस्टल'' में रिलीज़ हुई। इसके बाद उन्होंने [[प्रेम नज़ीर]] और [[मधु (शब्द)|मधु]] के साथ बहुत सारी फ़िल्मों को बनाया। ''बाबूमॉन,'' ब्लैक एंड व्हाइट युग की उनकी बॉक्स ऑफिस हिट फिल्मों में से एक थी। उन्होंने अभिनेता जयन के करियर में दो प्रमुख फिल्मों का निर्देशन किया। इन दो फ़िल्मों ने जयन के करियर को बदल कर रख दिया। 1976 में उनकी फिल्म ''[[पंचमी]]'' ने जयन को पहला बड़ा ब्रेक दिया। जयन, मलयालम सिनेमा में एक अभिनेता के रूप में आए थे। इस फ़िल्म ने उन्हें एक व्यापक पहचान दिलाई। 1979 में उन्होंने जयन और शीला के साथ एक और ब्लॉकबस्टर फिल्म ''सरपनजाराम'' रिलीज़ की। इस फ़िल्म ने फ़िल्म के नायक जयन को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया। उन्होंने 60 से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया है, जिनमें से कई फ़िल्मों ने अच्छा व्यवसाय करने के साथ-साथ विषयों की गंभीरता को भी दिखाने में सफल रहीं। उनकी फिल्मों ने ज्यादातर सामाजिक मुद्दों की जटिलताओं और मानवीय रिश्तों की गहराइयों को दर्शाया हैं, जो केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की पृष्ठभूमि में स्थापित है। जैसे उनकी फिल्मों ''वलर्थुमरूगंगल'', ''पंचाग्नी'', <nowiki><i id="mwQQ"></i></nowiki>''नखक्षथंगल'', ''ओरु वदक्कन वीरगाथा'', ''सरगम'', ''परिणयम'' और ''एन्नु स्वंथम जानकीकुट्टी'' नें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के भारतीय पैनोरमा में प्रवेश किया। उन्हें ''ओरु वडक्कन वीरगाथा के'' लिए उत्तर कोरिया के प्योंगयांग फिल्म महोत्सव द्वारा एक डिप्लोमा से भी सम्मानित किया गया। 1993 में, ''सरगम'' ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए केरल राज्य पुरस्कार और पूरा मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी प्रदान किया गया। फिल्म को फुकुओका और स्विस फिल्म समारोहों में विशेष सम्मान भी मिला। <ref>{{Cite web |url=http://www.manoramaonline.com/cgi-bin/MMOnline.dll/portal/ep/malayalamContentView.do?contentId=15005515&programId=1073752204&channelId=-1073750705&BV_ID=@@@&tabId=3 |title=संग्रहीत प्रति |access-date=5 नवंबर 2020 |archive-date=19 मार्च 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140319015207/http://www.manoramaonline.com/cgi-bin/MMOnline.dll/portal/ep/malayalamContentView.do?contentId=15005515&programId=1073752204&channelId=-1073750705&BV_ID=@@@&tabId=3 |url-status=dead }}</ref> उनकी अगली फिल्म, ''परिणयम'' ने अन्य सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता और दुनिया भर में लगभग सात फिल्म समारोहों में भाग लिया। ''एन्नु स्वांथम जानकीकुट्टी'' कोरियाई फिल्म समारोह (2000) में उद्घाटन फिल्म के तौर पर प्रदर्शेित की गई, और इसने लंदन फिल्म समारोह (2000) में भी भाग लिया।
 
अपने इन कामों से अपने को पहचान दिलवाने के अलावा उन्होंने कई मौकों पर अपने काम के लिए फिल्मफेयर और रामू करियात पुरस्कार भी जीता। 2009 में, उन्होंने ''पजहस्सी राजा'' फ़िल्म बनाई। यह केरल वर्मा पझस्सी राजा के जीवन पर आधारित थी, जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ पहला विद्रोह था। इसे [[एम॰ टी॰ वासुदेव नायर|एम॰ टी॰]] वासुदेव नायर ने लिखा था। 2011 में बाद में, उन्होंने ''रंडामूझम'' शीर्षक से एक और ऐतिहासिक फिल्म की घोषणा की जिसमें [[मोहनलाल (अभिनेता)|मोहनलाल]] मुख्य भूमिका में थे। यह फ़िल्म एम॰टी॰ वासुदेवन नायर के इसी नाम से लिखे उपन्यास पर बन रही थी। इसका निर्माण गोकुलम गोपालन द्वारा किया जाना था, लेकिन बाद में परियोजना को रोक दिया गया था। <ref>http://www.thehindu.com/features/cinema/bheemas-outing/article2615566.ece</ref>