"हस्तमैथुन": अवतरणों में अंतर

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'''शंकरानन्द''' के अनुसार—
 
जिस प्रकार अतिसार सभी तेज को हर लेता है, उसी प्रकार वीर्य का निर्गम बल और वीर्य का अपहरण करता है। जैसे गन्ने का डंठल निचोड़ने से वह खोखला बन जाता है, वैसे ही वर्यवीर्य निकलने से पुरुष खोखला बन जाता है।<ref>पन्ना ५५, બ્રહ્મ Easy, प्रियम, अहो श्रुतम </ref>
 
सात धातु के बाद ओज निर्माण होता है।