"राणा सांगा": अवतरणों में अंतर
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'''राणा सांगा''' (महाराणा संग्राम सिंह) (१२ अप्रैल १४८४ - ३० जनवरी १५२८) (राज 1509-1528) [[उदयपुर]] में [[सिसोदिया (राजपूत)|सिसोदिया
▲[[चित्र:Depiction of king Rana Sanga.jpg|right|thumb|250px|हिन्दुवा सुर्य महान राजपूत क्षत्रिय योद्धा महाराणा सांगा का चित्र]]
राणा रायमल के तीनों पुत्रों ( [[पृथ्वीराज|कुंवर पृथ्वीराज]], जगमाल तथा राणा सांगा ) में मेवाड़ के सिंहासन के लिए संघर्ष प्रारंभ हो जाता है। एक भविष्यकर्त्ता के अनुसार सांगा को मेवाड़ का शासक बताया जाता है ऐसी स्थिति में कुंवर पृथ्वीराज व जगमाल अपने भाई राणा सांगा को मौत के घाट उतारना चाहते थे परंतु सांगा किसी प्रकार यहाँ से बचकर अजमेर पलायन कर जाते हैं तब सन् 1509 में अजमेर के कर्मचन्द पंवार की सहायता से राणा सांगा [[मेवाड़]] राज्य प्राप्त हुुुआ | महाराणा सांगा ने सभी राजपूत राज्यो को संगठित किया और सभी राजपूत राज्य को एक छत्र के नीचे लाएं। उन्होंने सभी राजपूत राज्यो संधि की और इस प्रकार महाराणा सांगा ने अपना साम्राज्य उत्तर में पंजाब सतलुज नदी से लेकर दक्षिण में मालवा को जीतकर नर्मदा नदी तक कर दिया। पश्चिम में में सिंधु नदी से लेकर पूर्व में बयाना भरतपुर ग्वालियर तक अपना राज्य विस्तार किया इस प्रकार मुस्लिम सुल्तानों की डेढ़ सौ वर्ष की सत्ता के पश्चात इतने बड़े क्षेत्रफल हिंदू साम्राज्य कायम हुआ इतने बड़े क्षेत्र वाला हिंदू सम्राज्य दक्षिण में विजयनगर सम्राज्य ही था। दिल्ली सुल्तान इब्राहिम लोदी को खातौली व बाड़ी के युद्ध में 2 बार परास्त किया और और गुजरात के सुल्तान को हराया व मेवाड़ की तरफ बढ़ने से रोक दिया। बाबर को खानवा के युद्ध में पूरी तरह से राणा ने परास्त किया और बाबर से बयाना का दुर्ग जीत लिया। इस प्रकार राणा सांगा ने भारतीय इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ दी। 16वी शताब्दी के सबसे शक्तिशाली शासक थे इनके शरीर पर 80 घाव थे। इनको हिंदुपत की उपाधि दी गयी थी। इतिहास में इनकी गिनती महानायक तथा वीर के रूप में की जाती हैं।
▲'''राणा सांगा''' (महाराणा संग्राम सिंह) (१२ अप्रैल १४८४ - ३० जनवरी १५२८) (राज 1509-1528) [[उदयपुर]] में [[सिसोदिया (राजपूत)|सिसोदिया राजपूत राजवंश]] के राजा थे तथा [[राणा रायमल]] के सबसे छोटे पुत्र थे।<ref>Sen, Sailendra (2013). A Textbook of Medieval Indian History. Primus Books. pp. 116–117. ISBN 978-9-38060-734-4</ref>
== परिचय ==
महाराणा संग्राम सिंह, महाराणा कुंभा के बाद, कहानी के नाम से प्रसिद्ध हैं। मेवाड़ में सबसे महत्वपूर्ण शासक। इन्होंने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ साम्राज्य का विस्तार किया और उसके तहत राजपूताना के सभी राजाओं को संगठित किया। रायमल की मृत्यु के बाद, 1509 में, राणा सांगा मेवाड़ के महाराणा बन गए। सांगा ने अन्य राजपूत सरदारों के साथ सत्ता का आयोजन किया।
राणा सांगा ने [[मेवाड़]] में 1509 से 1528 तक शासन किया, जो आज भारत के राजस्थान प्रदेश में स्थित है। राणा सांगा ने विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध सभी
इन्होंने दिल्ली, गुजरात, व मालवा मुगल बादशाहों के आक्रमणों से अपने राज्य की बहादुरी से ऱक्षा की। उस समय के वह सबसे शक्तिशाली हिन्दू राजा थे।
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राणा सांगा अदम्य साहसी थे। एक भुजा, एक आँख, एक टांग खोने व अनगिनत ज़ख्मों के बावजूद उन्होंने अपना महान पराक्रम नहीं खोया, सुलतान मोहम्मद शाह माण्डु के युद्ध में हराने व बन्दी बनाने के बाद उन्हें उनका राज्य पुनः उदारता के साथ सौंप दिया, यह उनकी बहादुरी को दर्शाता है।खानवा की लड़ाई में राणाजी को लगभग ८० घाव लगे थे अतः राणा सांगा को सैनिकों का भग्नावशेष भी कहा जाता है।
बाबर भी अपनी आत्मकथा मैं लिखता है कि “राणा सांगा अपनी वीरता और तलवार के बल पर अत्यधिक शक्तिशाली हो गया है। वास्तव में उसका राज्य चित्तौड़ में था। मांडू के सुल्तानों के राज्य के पतन के कारण उसने बहुत-से स्थानों पर अधिकार जमा लिया। उसका मुल्क 10 करोड़ की आमदनी का था, उसकी सेना में एक लाख सवार थे। उसके साथ 7 राऔर 104 छोटे सरदार थे। उसके तीन उत्तराधिकारी भी यदि वैसे ही वीर और योग्य होते मुगलों का राज्य हिंदुस्तान में जमने न पाता"
▲महाराणा सांगा ने सभी राजपूत राज्यो को संगठित किया और सभी राजपूत राज्य को एक छत्र के नीचे लाएं। उन्होंने सभी राजपूत राज्यो संधि की और इस प्रकार महाराणा सांगा ने अपना साम्राज्य उत्तर में पंजाब सतलुज नदी से लेकर दक्षिण में मालवा को जीतकर नर्मदा नदी तक कर दिया। पश्चिम में में सिंधु नदी से लेकर पूर्व में बयाना भरतपुर ग्वालियर तक अपना राज्य विस्तार किया इस प्रकार मुस्लिम सुल्तानों की डेढ़ सौ वर्ष की सत्ता के पश्चात इतने बड़े क्षेत्रफल हिंदू साम्राज्य कायम हुआ इतने बड़े क्षेत्र वाला हिंदू सम्राज्य दक्षिण में विजयनगर सम्राज्य ही था। दिल्ली सुल्तान इब्राहिम लोदी को खातौली व बाड़ी के युद्ध में 2 बार परास्त किया और और गुजरात के सुल्तान को हराया व मेवाड़ की तरफ बढ़ने से रोक दिया। बाबर को खानवा के युद्ध में पूरी तरह से राणा ने परास्त किया और बाबर से बयाना का दुर्ग जीत लिया। इस प्रकार राणा सांगा ने भारतीय इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ दी। 16वी शताब्दी के सबसे शक्तिशाली शासक थे इनके शरीर पर 80 घाव थे। इनको हिंदुपत की उपाधि दी गयी थी। इतिहास में इनकी गिनती महानायक तथा वीर के रूप में की जाती हैं।<ref name=":0">Maharana Sanga; the Hindupat, the last great leader of the Rajput race: Sarda, Har Bilas, Diwan Bahadur, 1867-1955</ref>
==इन्हें भी देखें==
*[[संग्राम सिंह द्वितीय]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
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*[https://web.archive.org/web/20141030102932/http://books.google.co.in/books?id=P-bdni2uYlwC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=true राणा संग्राम सिंह] (गूगल पुस्तक ; लेखक - विनोद कुमार मिश्र)
{{उदयपुर}}
{{इति-आधार}}
[[श्रेणी:मेवाड़ के शासक]]
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[[श्रेणी:भारत के शासक]]
[[श्रेणी:भारत का इतिहास]]
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