"अग्निवंशी": अवतरणों में अंतर
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== नव-सहसंका-चरित की अग्निकुला कथा ==
उन राजवंशों में जिन्हें अब राजपूत कहा जाता है, [[परमार वंश | परमार]] मालवा के राजाओं ने सबसे पहले 'अग्निकुला' ("अग्नि वंश") वंश का दावा किया था। परमार युग के दौरान रचे गए कई शिलालेखों और साहित्यिक कृतियों में इस किंवदंती का उल्लेख है।{{sfn|Yadava|1982|p=32}} इस कहानी का उल्लेख करने वाला सबसे पहला ज्ञात स्रोत परमार अदालत के कवि पद्मगुप्त परिमाला का '''[[नवा-सहसंका-चारिता]]''' है। संस्कृत भाषा का महाकाव्य [[सिंधुराज]] (सीए। 997-1010) के शासनकाल के दौरान रचा गया था। इसकी कथा का संस्करण इस प्रकार है:{{sfn|Hiltebeitel|1999|p=444}}
{{Quote box
|title = ''नव-सहसंका-चरित'' की अग्निकुला कथा
|quote = माउंट अर्बुदा
==पृथ्वीराज रासो==
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