"बेलवन": अवतरणों में अंतर

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ॐ जय लक्ष्मी माता जी की जय
 
==          महालक्ष्मी मन्दिर की प्रख्यात कथा के बारे में यहाँ के पुरोहित बताते हैं कि "जिस समय व्रज में भगवान् श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। उस समय सभी देवगण विभिन्न रूप धर कर वृंदावन में आकर बस गये, जिससे देवलोक खाली-खाली सा दिखने लगा। जिस समय महादेव भी महारास के दर्शन करने के लिये वृंदावन भूमि के लिये चल दिये तो माता महालक्ष्मी को शंका हुई कि आखिर सभी देवगण कहाँ और क्यों जा रहे हैं ? अपनी शंका के निवारण के लिये माता महालक्ष्मी ने भगवान् विष्णु से प्रश्न किया कि सभी देवगण देवलोक छोड़कर वृंदावन में क्यों जा रहे हैं ? भगवान् श्रीहरि विष्णु ने माता महालक्ष्मी को बताया कि वृंदावन में एक आठ साल का बालक महारास कर रहा है वही देखने सब देवगण वहाँ जा रहे हैं। माता महालक्ष्मी को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि एक आठ वर्ष का बालक महारास का आयोजन कैसे कर सकता है अपनी उत्सुकता को शान्त करने के लिये तथा महारास देखने के लिये माता महालक्ष्मी भी बैकुंठ से वृंदावन के लिये चल दीं। ==
 
==          वृंदावन में जब राधाजी को इस बात की सूचना मिली तो राधाजी चिन्तित हो उठीं। उन्हें चिन्तित देख श्रीकृष्ण ने उनसे उनके चिन्तित होने का कारण पूछा। राधाजी ने कहा माधव यदि महालक्ष्मी यहाँ आ गयीं और वे भी महारास में शामिल हो गयीं तो उनमें भी गोपीभाव का उदय हो जायेगा। और यदि महालक्ष्मी में गोपीभाव का उदय हो गया तो संसार का सारा वैभव ही नष्ट हो जायेगा। सारा संसार ही बिना लक्ष्मी के वैभव विहीन होकर बैरागी बन जायेगा। और यदि ऐसा होगा तो यह संसार कैसे चलेगा। माधव आप कैसे भी करके महालक्ष्मी को वृंदावन में आने से रोकिये। ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बेलवन" से प्राप्त