"बेलवन": अवतरणों में अंतर

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ॐ जय लक्ष्मी माता जी की जय
 
==          महालक्ष्मी वहीं पर गोपीभाव की प्राप्ति के लिये तप करने बैठ गयीं। कुछ समय पश्चात ग्वाल रूपी श्रीकृष्ण ने महालक्ष्मीजी से कहा, "देवी ! मुझे भूख लगी है कुछ खाने को दीजिये।" महालक्ष्मी ने कहा, "मेरे पास तो यहाँ भोजन के लिये कुछ भी नहीं है।" फिर महालक्ष्मी ने अपनी साड़ी से अग्नि उत्पन्न कर ग्वाल रूपी श्रीकृष्ण के लिये खिचड़ी बना कर दी। ==
 
==          कहते हैं आज भी महालक्ष्मी वहीं पर तप कर रही हैं। आज भी ग्वाल रूप में श्रीकृष्ण उनके पास बैठे दिखते हैं तथा उन्हें खिचड़ी का भोग लगता है। पौष मास में हर गुरुवार के दिन यहाँ मेला लगता है और जगह-जगह चूल्हा बना कर खिचड़ी तैयार कर भोग लगाया जाता है तथा प्रशाद बाँटा जाता है। ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बेलवन" से प्राप्त