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'''बेगम हज़रत महल''' ([[नस्तालीक़]]: {{लिपि/नस्तालीक़|بیگم حضرت محل}}, 1820 - 7 अप्रैल 1879), जो '''अवध (अउध) की बेगम''' के नाम से भी प्रसिद्ध थीं, [[अवध]] के नवाब [[वाजिद अली शाह]] की दूसरी पत्नी थीं। अंग्रेज़ों द्वारा [[कोलकाता|कलकत्ते]] में अपने शौहर के निर्वासन के बाद उन्होंने [[लखनऊ]] पर क़ब्ज़ाshashan sthapit कर लिया और अपनी अवध रियासत की हकूमत को बरक़रार रखा। अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े से अपनी रियासत बचाने के लिए उन्होंने अपने बेटे नवाबज़ादे [[बिरजिस क़द्र]] को अवध के वली (शासक) नियुक्त करने की कोशिश की थी; मगर उनका शासन जल्द ही ख़त्म होने की वजह से उनकी ये कोशिश असफल रह गई। उन्होंने [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|1857 के भारतीय विद्रोह]] के दौरान [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी|ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी]] के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। अंततः उन्होंने [[नेपाल]] में शरण मिली जहाँ उनकी मृत्यु 1879 में हुई थी।<ref name=":0">{{cite news |date=8 April 2014 |title=A link to Indian freedom movement in Nepal |url=http://www.thehindu.com/news/international/south-asia/a-link-to-indian-freedom-movement-in-nepal/article5884467.ece |newspaper=The Hindu |access-date=16 मई 2018 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140410063351/http://www.thehindu.com/news/international/south-asia/a-link-to-indian-freedom-movement-in-nepal/article5884467.ece |archive-date=10 अप्रैल 2014 |url-status=live }}</ref>
 
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