"जेजाकभुक्ति के चन्देल": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) छो 2409:4051:2E1A:9244:109E:91F4:1A2C:4026 (Talk) के संपादनों को हटाकर 2401:4900:51F4:54E1:233C:23BE:DC4E:7707 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया Reverted |
||
पंक्ति 27:
नंद के अत्याचार से रवाना हुए कुछ बुंदेलखंड आकार बसे जहा कभी उनके पूर्वज उपरीचर वसु और जरासंध का राज था। उन्हीं राजा नन्नुक (चंद्रवर्मन) ने चंदेल वंश की स्थापना की।
'''चन्देला वंश''' भारत का प्रसिद्ध राजवंश हुआ, जिसने 08वीं से 12वीं शताब्दी तक स्वतंत्र रूप से यमुना और नर्मदा के बीच, बुंदेलखंड तथा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग पर राज किया। चंदेल वंश के शासकों का बुंदेलखंड के इतिहास में विशेष योगदान रहा है। चंदेलो ने लगभग चार शताब्दियों तक बुंदेलखंड पर शासन किया। चन्देल शासक न केवल महान विजेता तथा सफल शासक थे, अपितु कला के प्रसार तथा संरक्षण में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। चंदेलों का शासनकाल आमतौर पर बुंदेलखंड के शांति और समृद्धि के काल के रूप में याद किया जाता है। चंदेलकालीन स्थापत्य कला ने समूचे विश्व को प्रभावित किया उस दौरान वास्तुकला तथा मूर्तिकला अपने उत्कर्ष पर थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं खजुराहो के मंदिर इस वंश का प्रथम राजा नन्नुक देव
==इतिहास==
|