"प्लासी का पहला युद्ध": अवतरणों में अंतर

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== ब्रिटिश उदय ==
इस युद्ध से कम्पनी को बहुत लाभ हुआ !वो आई तो आए थे व्यापार हेतु, थी किंतु बन गएगई राज चलाने वाले।राजा। इस युद्ध से प्राप्त संसाधनो का प्रयोग कर कम्पनी ने फ्रांस की कम्पनी को [[कर्नाटक]] के तीसरे और अन्तिम युद्ध मे निर्णायक रूप से हरा दिया था। इस युद्ध के बाद [[बेदरा का युद्ध|बेदरा के युद्ध]] मे कम्पनी ने ड्च कम्पनी को हराया था।इस युद्ध की जानकारी लन्दन के इंडिया हाउस लाइब्ररी में उपलब्ध है जो बहुत बड़ी लाइब्ररी है और वहां भारत की गुलामी के समय के 20 हज़ार दस्तावेज उपलब्ध है। वहां उपलब्ध दस्तावेज के हिसाब से अंग्रेजों के पास प्लासी के युद्ध के समय मात्र 300 सिपाही थे और सिराजुदौला के पास 18 हजार सिपाही।
 
अंग्रेजी सेना का सेनापति था रोबर्ट क्लाइव और सिराजुदौला का सेनापति था मीरजाफर था।मीरजाफर। रोबर्ट क्लाइव ये जानता था की आमने सामने का युद्ध हुआ तो एक घंटा भी नहीं लगेगा और हम युद्ध हार जायेंगे और क्लाइव ने कई बार चिठ्ठी लिख के ब्रिटिश पार्लियामेंट को ये बताया भी था। इन दस्तावेजों में क्लाइव की दो चिठियाँ भी हैं। जिसमे उसने ये प्रार्थना की है कि अगर प्लासी का युद्ध जीतना है तो मुझे और सिपाही दिए जाएँ।
 
रोबर्ट क्लाइव ने तब अपने दो जासूस लगाये और उनसे कहा की जा के पता लगाओ की सिराजुदौला के फ़ौज में कोई ऐसा आदमी है जिसे हम रिश्वत दे लालच दे और रिश्वत के लालच में अपने देश से गद्दारी कर सके। उसके जासूसों ने ये पता लगा के बताया की हाँ उसकी सेना में एक आदमी ऐसा है जो रिश्वत के नाम पर बंगाल को बेच सकता है और अगर आप उसे कुर्सी का लालच दे तो वो बंगाल के सात पुश्तों को भी बेच सकता है। और वो आदमी था मीरजाफर और मीरजाफर ऐसा आदमी था जो दिन रात एक ही सपना देखता था की वो कब बंगाल का नवाब बनेगा। ये बातें रोबर्ट क्लाइव को पता चली तो उसने मीरजाफर को एक पत्र लिखा। कम्पनी ने इसके बाद कठपुतली नवाब [[मीर जाफ़र|मीर जाफर]] को सत्ता दे दी किंतु ये बात किसी को पता न थी कि सत्ता कम्पनी के पास है। नवाब के दरबारी तक उसे क्लाइव का गधा कहते थे कम्पनी के अफ़सरों ने जमकर रिश्वत बटोरी बंगाल का व्यापार बिल्कुल तबाह हो गया था इसके अलावा बंगाल मे बिल्कुल अराजकता फ़ैल गई थी।