"माद्री": अवतरणों में अंतर

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इस घटना के बीत जाने के बाद एक दिन माद्री एक झरने के किनारे नाहा रही थी , उनको इस रूप में देख कर पाण्डु विचलित हो गए और कण्वकिंदम ऋषि के उस श्राप को भूल कर माद्री के साथ शम्भोगसहवास कर लिया और इसके साथ ही उनका देहवासन हो गया।
उनहोंने कुंती से कहा की यह सब की वजह वहीं है और कुंती के मना करने पर भी उनहोंने इस वियोग में वही पर देहत्याग कर दिया ।