"श्यामजी कृष्ण वर्मा": अवतरणों में अंतर

→‎जीवन वृत्त: वे स्वामी दयानन्द सरस्वती से अत्यधिक प्रेरित थे
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 49.15.240.22 (Talk) के संपादनों को हटाकर Walrus Ji के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 42:
[[चित्र:India House today.jpg|thumb|left|150px|[[इण्डिया हाउस]] हाईगेट [[लन्दन]]]]
श्यामजी कृष्ण वर्मा का जन्म 4 अक्टूबर<ref name="pib-hi-30705">{{cite web| url = http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=30705| title = प्रधानमंत्री ने श्‍यामजी कृष्‍ण वर्मा की जयंती के अवसर पर उन्‍हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की| publisher = पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार| date = 4 अक्टूबर 2014| accessdate = 7 अक्टूबर 2014| archive-url = https://web.archive.org/web/20141011164248/http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=30705| archive-date = 11 अक्तूबर 2014| url-status = live}}</ref> 1857 को [[गुजरात]] प्रान्त के [[मांडवी लोकसभा क्षेत्र|माण्डवी कस्बे]] में श्रीकृष्ण वर्मा के यहाँ हुआ था।<ref name="क्रान्त">{{cite book |last1=क्रान्त |first1= |authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास |url=http://www.worldcat.org/title/svadhinata-sangrama-ke-krantikari-sahitya-ka-itihasa/oclc/271682218 |format= |accessdate=११ फरबरी २०१४ |edition=1 |series= |volume=1 |date= |year=2006 |month= |origyear= |publisher=प्रवीण प्रकाशन |location=नई दिल्ली |language=hi |isbn=81-7783-119-4 |oclc= |doi= |id= |page=२५० |pages= |chapter= |chapterurl= |quote=गुजरात सरकार ने प्रयत्न करके जिनेवा से उनकी अस्थियाँ भारत मँगवायीं और उनकी अन्तिम इच्छा का समादर किया। |ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp= |archive-url=https://web.archive.org/web/20131014175453/http://www.worldcat.org/title/svadhinata-sangrama-ke-krantikari-sahitya-ka-itihasa/oclc/271682218 |archive-date=14 अक्तूबर 2013 |url-status=live }}</ref>
यह कस्बा अब [[मांडवी लोकसभा क्षेत्र]] में विकसित हो चुका है। उन्होंने 1888 में [[अजमेर]] में वकालत के दौरान [[स्वराज]] के लिये काम करना शुरू कर दिया था। [[मध्यप्रदेश]] के [[रतलाम]] और गुजरात के [[जूनागढ़]] में दीवान रहकर उन्होंने जनहित के काम किये। मात्र बीस वर्ष की आयु से ही वे क्रान्तिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेने लगे थे।वेथे। वे लोकमान्य [[बाल गंगाधर तिलक]] और [[स्वामी दयानंद सरस्वती]] से अत्यधिक प्रेरित थे। 1918 के [[बर्लिन]] और इंग्लैण्ड में हुए विद्या सम्मेलनों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
 
1897 में वे पुनः इंग्लैण्ड गये। 1905 में [[लॉर्ड कर्जन]] की ज्यादतियों के विरुद्ध संघर्षरत रहे। इसी वर्ष इंग्लैण्ड से मासिक समाचार-पत्र "द इण्डियन सोशियोलोजिस्ट" निकाला, जिसे आगे चलकर [[जिनेवा]] से भी प्रकाशित किया गया। इंग्लैण्ड में रहकर उन्होंने [[इंडिया हाउस]] की स्थापना की। भारत लौटने के बाद 1905 में उन्होंने क्रान्तिकारी छात्रों को लेकर इण्डियन होम रूल सोसायटी की स्थापना की।