"बन्दा सिंह बहादुर": अवतरणों में अंतर

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== गुरु गोबिन्द सिंह से प्रेरणा ==
3 सितम्बर 1708 ई. को [[नांदेड़|नान्देड]] में सिक्खों के दसवें गुरु [[गुरु गोबिन्द सिंह]] ने इस आश्रम मे, और उन्हें अमृतपान कराकर सिक्ख बनाकर उसका नाम बन्दा सिंह बहादुर रख दिया। [[पंजाब]] और शेष अन्य राज्यों के हिन्दुओं के प्रति दारुण यातना झेल रहे तथा गुरु गोबिन्द सिंह के सात और नौ वर्ष के उन महान बच्चों की सरहिंद के नवाब वज़ीर ख़ान के द्ववारा निर्मम हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए रवाना किया। गुरु गोबिन्द सिंह के आदेश से ही वे पंजाब आये और सिक्खों केको युद्धनीति में पारंगत कर सहयोगउनकेसहयोग से मुग़ल अधिकारियों को पराजित करने में सफल हुए। मई, 1710 में उन्होंने [[सरहिंद फतेहगढ़|सरहिंद]] को जीत लिया और [[सतलुज नदी]] के दक्षिण में सिक्ख राज्य की स्थापना की। उन्होंने ख़ालसा"राज करेगा खालसा" के नामजय घोष के साथ से शासन भी किया और गुरुओं के नाम के सिक्के चलवाये।
 
== राज्य-स्थापना हेतु आत्मबलिदान ==