"बन्दा सिंह बहादुर": अवतरणों में अंतर

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| years_active = 1708 -1716
| nationality =[[भारतीय]]
| other_names = माधो दास (पूर्व नाम )
| known_for = मुग़लों से लोहा लेने के लिये प्रसिद्ध हैं<br/>ज़मींदारी प्रथा समाप्त करने, [[सरहिन्द]] के नवाब वज़ीर ख़ान को मारा, पंजाब और भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य इलाक़ों में स्वराज और ख़ालसा राज की स्थापना की।<ref>{{cite book|last=Sagoo|first=Harbans|title=Banda Singh Bahadur and Sikh Sovereignty|year=2001|publisher=Deep & Deep Publications|url=https://archive.org/stream/BandaSinghBahadurAndSikhSovereignty/BandaSinghBahadurAndSikhSovereignty_djvu.txt|access-date=24 अप्रैल 2016|archive-url=https://web.archive.org/web/20160404065456/https://archive.org/stream/BandaSinghBahadurAndSikhSovereignty/BandaSinghBahadurAndSikhSovereignty_djvu.txt|archive-date=4 अप्रैल 2016|url-status=live}}</ref>
| children = 1 ( अजय सिंह )
| predecessor =
| successor = [[छज्जा सिंह ढिल्लों]]
|Religion=|religion=[[हिंदूसिख]]|teacher=[[गुरू गोबिंद सिंह]]|father=रामदेवराम राजपूतदेव}}
 
'''बन्दा सिंह बहादुर बैरागी''' एक [[राजपूतसिख]] सेनानायक थे। उन्हें '''बन्दा बहादुर''',<ref name="hello">{{citation|url=https://books.google.ca/books?id=OVqP54UEe4QC&pg=PA117|title=Revenge and Reconciliation|author=Rajmohan Gandhi|pages=117–118|access-date=24 अप्रैल 2016|archive-url=https://web.archive.org/web/20160304231022/https://books.google.ca/books?id=OVqP54UEe4QC&pg=PA117|archive-date=4 मार्च 2016|url-status=live}}</ref> '''लक्ष्मन देव''' और '''माधो दास'''<ref name=eos>{{cite web |url=http://www.learnpunjabi.org/eos/BANDA%20SINGH%20BAHADUR%20%281670-1716%29.html |last=Ganda Singh |title=Banda Singh Bahadur |website=Encyclopaedia of Sikhism |publisher=Punjabi University Patiala |accessdate=27 January 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150217022740/http://www.learnpunjabi.org/eos/BANDA%20SINGH%20BAHADUR%20(1670-1716).html |archive-date=17 फ़रवरी 2015 |url-status=live }}</ref><ref>{{cite web |url=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/51460/Banda-Singh-Bahadur |title=Banda Singh Bahadur |publisher=Encyclopedia Britannica |accessdate=15 May 2013 |archive-url=https://web.archive.org/web/20130614090946/http://www.britannica.com/EBchecked/topic/51460/Banda-Singh-Bahadur |archive-date=14 जून 2013 |url-status=live }}</ref> भी कहते हैं। वे अमृतपानपहले करकेऐसे सिख हुए, (जो कि गुरु गोविंद सिंह जी के कहने पर जिन्होंने मुग़लों के अजेय होने के भ्रम को तोड़ा; [[चार साहिबज़ादे|छोटे साहबज़ादों]] की शहादत का बदला लिया और [[गुरु गोबिन्द सिंह]] द्वारा संकल्पित प्रभुसत्तासम्पन्न लोक राज्य की राजधानी [[लोहगढ़]] में [[ख़ालसा]] राज की नींव रखी। यही नहीं, उन्होंने [[गुरु नानक|गुरु नानक देव]] और गुरू गोबिन्द सिंह के नाम से [[सिक्का]] और मोहरे जारी करके, निम्न वर्ग के लोगों की उच्च पद दिलाया और हल वाहक किसान-मज़दूरों को ज़मीन का मालिक बनाया।
 
== आरम्भिक जीवन ==
[[चित्र:Banda Bahadur War Memorial.jpg|right|thumb|300px|[[अजीतगढ़|मोहाली]] में '''बंदा सिंह बैरागी''' का स्मारक]]
बाबा बन्दा सिंह बहादुर का जन्म [[कश्मीर]] स्थित पुंछ जिले के तहसील राजौरी क्षेत्र में एक क्षत्रिय राजपूत परिवार में विक्रम संवत् 1727, कार्तिक शुक्ल 13 (1670 ई.) को हुआ था। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मण देवलक्ष्मणदेव था। लक्ष्मण देव के भाग्य में विद्या नहीं थी, लेकिन छोटी सी उम्र में पहाड़ी जवानों की भांति [[कुश्ती]] और [[शिकार]] आदि का बहुत शौक़ था। वह अभी 15 वर्ष की उम्र के ही थे कि ऎेक गर्भवती हिरणी के उनके हाथों हुए शिकार ने उने अतयंत शोक में ङाल दिया। इस घटना का उनके मन में गहरा प्रभाव पड़ा। वह अपना घर-बार छोड़कर [[वैराग्य|बैरागी]] बन गये। वह जानकी दास नाम के एक बैरागी के शिष्य हो गए और उनका नाम 'माधोदास बैरागी' पड़ा। तदन्तर उन्होंने एक अन्य बाबा रामदास बैरागी का शिष्यत्व ग्रहण किया और कुछ समय तक पंचवटी ([[नासिक]]) में रहे। वहाँ एक औघड़नाथ से योग की शिक्षा प्राप्त कर वह पूर्व की ओर दक्षिण के [[नान्देड]] क्षेत्र को चले गए जहाँ [[गोदावरी नदी|गोदावरी]] के तट पर उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की।
 
== गुरु गोबिन्द सिंह से प्रेरणा ==
3 सितम्बर 1708 ई. को [[नांदेड़|नान्देड]] में सिक्खों के दसवें गुरु [[गुरु गोबिन्द सिंह]] ने इस आश्रम मे, और उन्हें अमृतपान कराकर सिक्ख बनाकर उसका नाम बन्दा सिंह बहादुर रख दिया। [[पंजाब]] और शेष अन्य राज्यों के हिन्दुओं के प्रति दारुण यातना झेल रहे तथा गुरु गोबिन्द सिंह के सात और नौ वर्ष के उन महान बच्चों की सरहिंद के नवाब वज़ीर ख़ान के द्ववारा निर्मम हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए रवाना किया। गुरु गोबिन्द सिंह के आदेश से ही वे पंजाब आये और सिक्खों को युद्धनीति में पारंगत करके उनकेसहयोगसहयोग से मुग़ल अधिकारियों को पराजित करने में सफल हुए। मई, 1710 में उन्होंने [[सरहिंद फतेहगढ़|सरहिंद]] को जीत लिया और [[सतलुज नदी]] के दक्षिण में सिक्ख राज्य की स्थापना की। उन्होंने "राज करेगा खालसा"ख़ालसा के जय घोष के साथनाम से शासन भी किया और गुरुओं के नाम के सिक्के चलवाये।
 
== राज्य-स्थापना हेतु आत्मबलिदान ==