"विकिपीडिया:प्रबन्धक पद के लिये निवेदन": अवतरणों में अंतर

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:मुनिता जी को भली प्रकार पता है, कि सदस्य रोहित वही पुराने रोहित रावत हैं। इनका पुराना सदस्य नाम [[सदस्य:Rohitrrrrr]] रहा है, एवं किसी कारणवश इनका पासवर्ड गुम हो गया था, जिसके कारण इन्हें नया पंजीकरण कराना पड़ा। ये सब जानते हुए भी यदि ये संपादन कम ही देख पा रही हैं, तो अफ़सोस के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता है। इनकी पुराने नाम से संपादन संख्या ५६०७ है, एवं उसके बाद इन्होंने नये नाम [[सदस्य:रोहित रावत]] से संपादन आरंभ किया है। इस बात की जानकारी इनके नये सदस्य पृष्ठ पर उपलब्ध है। इनकी इस बारे में सूचना मैंने पहले भी गुंजन जी के साथ नये प्रस्ताव रूप में रखी थी, जिसे मुनिता जी ने अपनी गलती से हटा दिया था। और ये सब जानते हुए भी ये कह रही हैं तो क्या कह सकते हैं? एक प्रबंधक से ये अपेक्षा नहीं की जाती है, कि उन्हें मात्र कुछ माह पुराने सदस्य का नाम और योगदान भी याद न रहे, वही सदस्य जिसे इन्होंने १०००वां लेख से लेकर २००००वें लेख की सूचना दी थी। दूसरा ये कि यदि इन्हें भाषा का रोना न रोयें बुरा लगा है, तो '''करता फिरे''' भी सभ्य अंश नहीं है। ऐसे साहित्यकार जो मात्र भ्रमण करें, यहां कोई खास योगदान न करें, और बड़ती बेल के पत्ते नोचें, वे विकि का क्या भला कर सकते हैं, लिखना आवश्यक नहीं समझता हूं।इन्हें प्रबंधक बनाना या न बनाना, कोई मात्र उत्साहवर्धन ही नहीं होता, वरन किसी के अच्छे कार्य को देखते हुए, उसकी पदोन्नति करना होता है, इस आशा के साथ कि वे इसी प्रकार आगे भी कार्यरत रहेंगे।--<small><span style="border:1px solid #0000ff;padding:1px;">[[User:आशीष भटनागर|<b>आशीष भटनागर</b>]][[User_talk:आशीष भटनागर|<font style="color:#FF4F00;background:#4B0082;"> &nbsp;वार्ता&nbsp;</font>]] </span></small> १५:३२, २९ सितंबर २००९ (UTC)
:: आशीष भटनागर स्वयं अशिष्ट भाषा का प्रयोग करनेवाले प्रबंधक हैं। जो लोग यहाँ 6 माह से अधिक से हैं वे इस बात को अच्छी तरह जानते हैं। वे सही हिन्दी भी नहीं लिख सकते, उनका ऊपर लिखा गया वाक्यांश इसका उदाहरण है। शायद उनके तकनीकी ज्ञान के कारण उन्हें प्रबंधक बनाया गया है। लेकिन जिसे ठीक से हिन्दी लिखना नहीं आता और सही हिन्दी लिखने के प्रति आस्था भी नहीं, ऐसे लोगों को किसी भी हाल में प्रबंधक पद नहीं दिया जाना चाहिए। वे गलतियाँ और अशिष्टता दोनो को बढ़ावा देते हैं। रोहित के अशिष्ट और उपहासात्मक संवादों के कारण ही उनके इतने विरोध हुए हैं। प्रबंधक आशीष भटनागर की ओर से उनके लिए समर्थन समान रुचि के कारण है ताकि वे दोनो मिलकर मनमानी कर सकें और सही काम करने वालों के विरोध को दबा दें। रोहित के 20,000 संपादनों में से लगभग 19,000 वार्ता शीर्षक के ही होंगे। इस तरह के संपादनों का क्या मूल्य है? बाकी 1000 संपादनों में 500 अशुद्धियाँ होंगी। यह भी जानना चाहिए कि जो लोग अच्छा काम करते हैं उनके संपादन हमेशा कम ही होते हैं क्यों कि अच्छा काम करने में समय लगता है। ज़रूरी यह है कि जो लोग ठीक से हिन्दी लिखना नहीं जानते हैं वे इसे सीखें और जो लोग कम आते हैं लेकिन सही काम करते हैं उनसे मार्ग-दर्शन लें। रोहित तकनीक के जानकार भी नहीं हैं। अतः अपनी भाषा, संवाद और तकनीक सुधारते हुए वे सदस्य के रूप में काम करते रहें। --[[सदस्य:Evian|Evian]] १६:४४, २९ सितंबर २००९ (UTC)
:::शायद एवियन को रोहित के समर्थन में मितुल जी और अनुनाद के नाम नहीं दिखे हैं, या वे दोनों भी मनमानी करना ही चाहते हैं। और शायद इनके विचार से पूर्णिमा जी भी इतने अधिक संपादन संख्या के संग अच्छा काम नहीं करती होंगीं। इससे अधिक कुछ कहने की आवश्यकता नहीं समझता हूं, न ही किसी के विषय में तथ्य उजागर करने की यहां आवश्यकता है।आ.भ.
 
==वरिष्ठ प्रबन्धक पद के लिये निवेदन की प्रक्रिया==