"खरपतवार": अवतरणों में अंतर

छो खरपतवार नियंत्रण की शस्य क्रियाएँ
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छो शब्द वर्तनी शुद्ध की
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'''(1)फसलों का चुनाव'''- खरपतवार नियंत्रण हेतु ऐसी फसली का चुनाव करना चाहिए जिसमें विभिन्न गुणों का समावेश हो । फसल का बीज सस्ता होना चाहिए , कम समय में तेजी से वृद्धि करने वाली होनी चाहिए व फसल के पौधों में कीटों व बीमारियों को सहन करने की क्षमता होनी चाहिए । फसलों की जड़े गहरी व फैलने वाली होती चाहिए । फसल को कम से कम पोषक तत्वों की आवश्यकता होनी चाहिए । फसलों की उपरोक्त विशेषताओं को ध्यान में रखकर फसलों का चुनाव करना चाहिए ।
 
'''(2)भूपरिष्करण क्रियाएँ''' - खरपतवारों पर नियन्त्रण के लिए गहरी व बार - बार कृषि क्रियाएँ नहीं करनी चाहिए । यद्यपि फसलों की वृद्धि के लिए गहरी य बार - बार जुताई लाभदायक होती हैद्वहै परन्तुपरंतु गहरी और बार - बार जुताई करने से मिट्टी में मिले हुए खरपतवारों के बीज खेत की ऊपरी सतह पर आकर अनुकूल परिस्थितियों में बार - बार अंकुरित होते रहते हैं ।
 
'''(3)कार्बनिक खादों का प्रयोग''' - कार्बनिक खाद सड़ने और गलने के पश्चात् कार्बनिक अम्ल का निस्तारण करते हैं । यह अम्ल खरपतवारों की वृद्धि को शिथिल कर देता है । सामान्य परिस्थितियों में कार्बनिक खादों के प्रयोग से भूमि में उगने वाली फसलों के लिए पर्याप्त वायु संचार , सुधरी हुई भूमि संरचना व अनुकूल नमी बनी रहती है ।