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सेल्यूकस निकेटर सिकंदर का उत्तराधिकारी था। 305 ईसवी पूर्व में मेसिडोनिया के शासक सेल्यूकस एवं चंद्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ जिसमें सेल्यूकस पराजित हुआ। दोनों के बीच संपन्न हुई संधि की शर्ते इस प्रकार थी- सेल्यूकस ने मौर्य के साथ अपनी पुत्री हेलना का विवाह किया और दहेज के रूप में एरिया( हेरात), अराकोसिया(कंधार), जेड्रोसिया एवं पेरीपेमिसडाई के क्षेत्र चंद्रगुप्त को दे दिए गए।
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प्लूटार्क के अनुसार चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिए। सेल्यूकस ने अपने एक राजदूत मेगस्थनीज को चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा। जिसने इंडिका नामक पुस्तक की रचना की। चंद्रगुप्त मौर्य की दक्षिण विजय के विषय में जानकारी तमिल ग्रंथों अहनामूर और मुरनानूरु तथा अशोक के अभिलेखों से मिलती है।
चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अंतिम चरण में जैन मुनि भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा लेकर श्रवणबेलगोला (मैसूर, कर्नाटक) में स्थित चंद्र गिरी पहाड़ी पर 298 ईसवी पूर्व में सलेखन(उपवास) विधि के द्वारा शरीर त्याग दिया।